Saturday, July 17, 2021

अब पत्रकार कमेंटेटर बन गए हैं-डा. सिमरन सिद्धू

Saturday 17th July 2021 at 1:57 PM

 जीजीएन खालसा कालेज के वेबिनार में हुई बहुत ही अर्थपूर्ण बातें  

लुधियाना:16 जुलाई 2021: (कार्तिका सिंह//मीडिया स्क्रीन Online)::

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गुरु नानक खालसा कॉलेज, गुजरांवाला, पत्रकारिता विभाग, लुधियाना ने "भारतीय पत्रकारिता:मुद्दे और चुनौतियां" पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। प्रो. जसमीत कौर, पी.जी. पत्रकारिता विभाग द्वारा वेबिनार शुरू किया गया था और विभाग के समन्वयक डॉ. सुषमिंदरजीत कौर ने इस वेबिनार के विषय और इसके महत्व से दर्शकों को अवगत कराने के लिए अपने दूरदर्शी शब्दों को बहुत ही खूबसूरती से उपयोग किया। 

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के पूर्व कुलपति डॉ एस. पी. सिंह जो गुजरांवाला खालसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष भी हैं ने विशिष्ट अतिथियों, प्रख्यात वक्ताओं और ज्ञानवर्धक श्रोताओं का स्वागत किया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में महामारी के इस कठिन समय में ऐसे वेबिनार आयोजित करने में विभाग के प्रयासों की सराहना की। अपने बहुमूल्य विचार सभी  सांझे करते हुए उन्होंने कहा कि आज का परिदृश्य ऐसा है कि न केवल भारतीय पत्रकारिता बल्कि दुनिया भर की पत्रकारिता भी विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों का सामना कर रही है। 

उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारिता का क्षेत्र सूचना को 'संक्रमित' करने के बजाय तथ्यात्मक सूचना के प्रसार के अपने मूल मार्ग से भटक गया है। वेबिनार का नेतृत्व पत्रकारिता और जनसंचार विभाग, दोआबा कॉलेज, जालंधर की प्रमुख डॉ. सिमरन सिद्धू  ने बहुत ही समझदारीऔर दूरदर्शिता पूर्ण बातें कह कर किया और बहुत ही अर्थपूर्ण शब्दों के साथ बहुत ही काम की बातें कहीं।  

उन्होंने कहा कि पत्रकार कमेंटेटर बन गए हैं क्योंकि वे केवल 'दृश्य' की बहुत गहराई से व्याख्या करते हैं।  उसी व्याख्या में डॉ. अ. स. नारंग प्रोफेसर राजनीति विज्ञान और मानवाधिकार शिक्षा के पूर्व समन्वयक, इग्नू ने पत्रकारों के सामान्य दृष्टिकोण पर जोर दिया क्योंकि "पत्रकारों के लिए यह कहना आसान नहीं है कि क्या कहना है और क्या नहीं कहना है।" 

कारोबारी एप्रोच लगातार बढ़ने से सप्लिमेंटों का जो दबाव पत्रकारों और समाज पर बढ़ा है अक्सर उसकी चर्चा कम होती है। सभी अख़बारों को विज्ञापन चाहिएं। कोई भी उनसे नाराज़गी मौल नहीं लेना चाहता। इस लिए अक्सर इस पर ख़ामोशी छ जाती है। लेकिन कटु सत्य है की इसने खबर की निष्पक्षता और तलाश को प्रभावित किया है। किसी भी ऐसे इन्सान का पत्रकार बनना मुश्किल हो गया है जो विज्ञापन नहीं जुटा सकता। ऐसी निराशाजनक स्थिति के बावजूद आशाभरी बातें की मैडम चित्लीन सेठी ने। उन्होंने तकनीकी विकास का फायदा उठाने की सलाह दी। यह बहुत ही नई उम्मीद है। 

श्रीमती चितलीन कौर सेठी, एसोसिएट एडिटर, द प्रिंट ने टिप्पणी की कि जिनके हाथ में मोबाइल फोन है, वे वास्तव में एक संभावित पत्रकार हैं। युवाओं से ऐसी उम्मीद को सुसव्ग्तं कहना बनता है। आम नागरिकों को यह बात एक नहीं हिम्मत देगी। कुर्प्ष्ण के खिलाफ उनका हौंसला बढ़ाएगी। 

इसी बीच मिस्टर हरप्रीत सिंह, टीवी एंकर, द हरप्रीत सिंह शो, कनाडा ने बताया कि पत्रकार बनना चाहने वालों की ऊर्जा और प्रतिभा का उपयोग धीरे-धीरे किया जा सकता है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरविंदर सिंह ने सभी गणमान्य वक्ताओं और दर्शकों का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि सटीक जानकारी के प्रसार में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देने के लिए विभाग ने हमेशा अथक और नए प्रयास किये हैं। 

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