Tuesday, January 27, 2015

मज़दूर बिगुल ने "आप" को आड़े हाथों लिया

विरोधियों ने वाम से कहा-पोलित ब्यूरो की राजनीति से ऊपर उठें
दिल्ली में चुनाव सर पर हैं। कौन जीतेगा इसका फैसला अभी समय के हाथ में है। इस चुनावी जंग में वाम समर्थकों और विरोधियों की विचार जंग एक बार फिर तेज़ है। मज़दूर बिगुल के जनवरी अंक में अंतरा घोष का लेख इस मामले में काफी कुछ कहता है। अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को निशाना बनाते हुए वह लिखती हैं,"हम मज़दूरों को न सिर्फ़ कांग्रेस और भाजपा जैसे पूँजीपतियों के टुकड़खोरों को पहचानना चाहिए बल्कि केजरीवाल जैसे झूठों-पाखण्डियों को भी पहचानना चाहिए जिनका जन्म एनजीओ राजनीति और बदबूदार लोहियावादियों के हमबिस्तर होने से हुआ है। बल्कि कहना चाहिए कि इन राजनीतिक वर्णसंकरों से मज़दूर वर्ग को सबसे ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है क्योंकि जब टटपुँजिया छोटे मँझोले वर्ग को पता चलता है कि केजरीवाल ने तो उसे टोपी पहना दी है, तो वह गुस्से में मोदी जैसे तानाशाह के समर्थन में जाता है। भारत में पिछले लोकसभा में मोदी के नेतृत्व में हिटलरों की जारज हिन्दुस्तानी सन्तानों को जो विजय मिली उसमें एक भूमिका आम आदमी पार्टी, अण्णा हज़ारे जैसे जोकरों की भी थी, जिनकी भँड़ैती में टटपुँजिया जनता कुछ समय के लिए उलझ गयी थी और जब उससे निकली तो बड़े गुस्से में थी! वास्तव में, ‘आप’ की राजनीति अपनी असफलता और उससे पैदा होने वाले मोहभंग के ज़रिये मोदी जैसे साम्प्रदायिक फासीवादियों का ही समर्थन करती है! यही कारण है कि आम आदमी पार्टी को पिछले विधानसभा चुनावों में वोट करने वाले अधिकांश लोगों ने संसद चुनावों में मोदी को वोट दिया था। हम मज़दूरों को अपनी वर्ग दृष्टि साफ़ रखनी चाहिए और समझ लेना चाहिए कि केजरीवाल ने हमसे एक बार धोखा किया है और बार-बार धोखा करेगा जबकि भाजपा और कांग्रेस खुले तौर पर हमें ठगते आये हैं!"
इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए  Aditya Chourasiya लिखते हैं,"बार-बार भारतीय वाम पंथ सर्वहारा का मसीहा बन लाल झंडा लहराकर आता है और उन्हें उल्लू बनाकर चला जाता है , बंगाल का हाल किसी से छुपा नहीं है. ऐसे ही आज़ादी के बाद ना जाने कितनी बार इन लाल झंडे वालों ने कांग्रेस और भाजपा के साथ मिलकर लाखों मज़दूरों और किसानों के साथ कपट किया है।
सीएन जी ऑटो और अवैध बस्तियों का मुद्दा लेकर आप पार्टी सड़कों पर गई थी आप नहीं
मोदी ने भूमि - अधिग्रहण अध्यादेश ला दिया और ये महाशय उसे भूलकर आम आदमी की निंदा में लगे हैं ? उस पार्टी ने एक नई आशा और एक नई दिशा दी है देश को और राजनीति को. हाशिये पर खड़े हुए वाम पंथी भाई , सादर अनुरोध है , पोलित ब्यूरो की राजनीति से ऊपर उठिये , जनता जाग रही है
सर्वहारा को तुम्हारी छद्‌म सहानुभूति और मंथरा सलाह की ज़रूरत नहीं है। क्रांति का बिगुल बज गया है।
 
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