Monday, March 23, 2020

हो सकता है अब ज़्यादा दिनों तक अख़बार घरों में न आये

मुंबई, चंडीगढ़ और अन्य क्षेत्रों के हॉकरों में भी बेचैनी
मुंबई//चंडीगढ़//लुधियाना: 23 मार्च 2020: (मीडिया स्क्रीन ऑनलाइन)::
कोरोना का कहर टूटा तो पूरी दुनिया सतर्क हो गई।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक आह्वान किया तो पूरा देश जनता कर्फ्यू के लिए तैयार हो गया। देश के हर वर्ग ने इसे सफल भी बनाया। उसके बाद 31 मार्च 2020 तक लॉकडाउन का एलान भी हुआ। लोकल डाउन जारी है। इस सारे संकट में जो वर्ग उपेक्षित से रह गए उनमें अख़बार को घर घर पहुंचने वाला हॉकर वर्ग भी शामिल है। अख़बार को सुबह सुबह हर घर और दफ्तर में पहुंचाने वाला हॉकर कोरोना से कैसे बचे? इस की चिंता किसी ने नहीं की। न सरकार ने, न अख़बारों के मालिकों ने और न ही समाज ने। रोज़ की खबरें पढ़ने के बाद कोरोना की मार का डर हॉकर और उसके परिवार को भी सता रहा है। वह कैसे बचे इससे उसे समझ नहीं आ रहा। एक मास्क और कम से कम एक सैनिटाईज़र की कीमत बाजार में जितनी कम से कम भी वसूली जा रही है उससे कहीं कम पैसे उसे उसके किसी एक ग्राहक के घर या दुकान से मिलते हैं वह भी महीना अख़बार देने के बाद। कितने मास्क और सैनिटाईज़र वह बाजार से खरीदे और अख़बार का पैसा कहाँ से पूरा करे? तंग आ कर उसने भी कहा हर ज़ोर ज़ुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है।
मुंबई में हॉकरों ने हड़ताल शुरू की तो सोमवार को बहुत से अख़बारों के प्रिंट एडिशन नहीं छपे। उन्होंने कहा कि  हमारे पाठक अब हमारे डिजिटल एडिशन में ही सारा पेपर पढ़ें। इसी तरह कल को बहुत  में छपने वाले साप्ताहिकों, पाक्षिक पत्रों और मासिक पत्रिकाओं की बारी भी आनेवाली है जो बहुत बड़ी संख्या में छपते और प्रसारित होते हैं। बहुत बड़े बड़े मीडिया हाऊस इन्हें चलाते हैं। किसी ने भी हॉकरों की की। 
चंडीगढ़, खरड़, मोहाली और अन्य क्षेत्रों में भी यही दर्द महसूस किया गया। चंडीगढ़ के हाकर वितरक संगठन के अध्यक्ष मदन शर्मा ने "जरूरी सूचना" शीर्षक से एक ब्यान व्हाट्सप्प पर जारी किया। उसमें उन्होंने कहा,"सभी प्रसार संस्थानों,,,वितरक साथियो एव एजेंट भाइयो को सूचित किया जाता है कि चंडीगढ़ वितरक संघ कोरोना महामारी के विकराल रूप लेने एवं चण्डीगढ़ प्रसाशन की लॉक डाउन की नोटिफिकेशन जारी होने हालांकि बन्द होने की श्रेणी में अखबार वितरण नही है फिर भी वितरक संघ अपने वितरक साथियो काम करने वाले हमारे सह वितरको,,एजेंटों,, प्रसार परिवार के हर साथियो की सुरक्षा एव कुशलता,,,उनकी भावनाओ के अनुरूप  कल से यानी 23/03/2020 से किसी भी प्रकार का अखबार वितरण संघ की अगली नोटिफिकेशन तक नही कर पायेगा,सभी संस्थानों से विनम्रतापूर्वक निवेदन है,की उक्त नोटिफिकेशन का सज्ञान लेते हुए कल से किसी भी प्रकार की वितरण सामग्री प्रकाशित ना करे,वितरक संघ आप सभी से सहयोग की अपेक्षा करता है। 
इसी मुद्दे को लेकर लुधियाना में भी मीटिंगों का सिलसिला जारी है। जब सोमवार को लोगों के घरों में "दैनिक भास्कर" अख़बार नहीं पहुंचा तो बहुत से घरों ने अपने अपने हाकर  फोन पर सम्पर्क किया। जवाब था आज भास्कर नहीं आया क्यूंकि  हॉकरों ने उसे उठाने से मना कर दिया। अन्य अखबारों से भी बात चल रही है। अब देखना है कि इस हड़ताल के दूरगामी प्रभाव क्या नज़र आते हैं। अगर समाज में संवेदनशीलता बची है तो उसे समाज का महत्वपूर्ण अंग बने हुए हॉकर वर्ग का ध्यान रखना ही होगा। सुबह सुबह जब हम सब सो रहे होते हैं तो होकर जाग रहा होता है तांकि हमें दिन भर की खबरों वाला अख़बार पहुंचा सके। क्या हमारा सब का कोई फ़र्ज़ नहीं उसके प्रति?

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Sunday, March 8, 2020

देखते ही देखते सब के सामने खबर उड़ा ले जाती है बिंदु उप्पल

महिला पत्रकारों में निरतंर सक्रिय रहने वाली खोजी पत्रकार
लुधियाना: 8 मार्च 2020: (रेक्टर कथूरिया//मीडिया स्क्रीन Online)::
लोकप्रिय समाचारपत्र दैनिक जागरण से सबंधित जानीमानी सक्रिय पत्रकार बिंदु उप्पल से कब और कहां मुलाकात हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर पल पत्रकारिता की डियूटी निभाने वाली बिंदु कहीं भी मिल सकती है। किसी प्रेस कांफ्रेंस में भी,.. किसी संगीत आयोजन में भी, किसी खेल टूर्नामेंट में भी, दशहरे-दीपावली के मेले में भी और किसी यूनिवर्सिटी के विशेष आयोजन में भी। हर चीज़ को गहराई से देखती हुई और हर बात को बहुत ही ध्यान से देखती हुई। आपके देखते ही देखते कब काम की खबर उड़ा लेती है इसका पता अगले दिन की अख़बार पढ़ कर ही चलता है और साथ वाले पत्रकार सोचते ही रह जाते हैं हमारी नज़र से यह खबर क्यूं छुपी रह गयी? 
मुलाकात होगी तो बिंदु बहुत सी बातें भी करेगी। रिफ्रेशमेंट कहीं मिस न हो जाये इसका भी ख्याल रखेगी लेकिन आपको खबर की भनक नहीं लगने देगी। हाल ही में जब सी टी यूनिवर्सिटी के खेती मेले में भेंट हुई तो उस मुलाकात के दौरान भी मैंने यही पूछा सब के सामने कैसे काम की खबर अपने हाथ में छुपा लेती हो? कौन सा जादू है? मुस्करा कर बोली-बस अपनी अपनी नज़र और अपने अपने नज़रिये की बात है। 
खबरों के साथ इतनी अटैचमेंट होने के बावजूद कभी मानवता को नज़रअंदाज़ नहीं किया। मानवीय पहलू को हर वक़्त याद रखने वाली बिंदु मानवीय रिश्तों को बहुत महत्व देती है। शायद यही कारण है कि लुधियाना और जगराओं के बहुत से परिवार उसे अपना पारिवारिक सदस्य ही मानते हैं। दुःख की घड़ी हो या सुख का मौका ये 
िवार बिंदु को नहीं भूलते। 
उस दिन खेती मेले में बिंदु की बेटी भी साथ थी। मैंने थोड़ा गंभीर और थोड़ा मज़ाक में कहा क्या इसे अभी से पत्रकारिता सिखाना शुरू कर दिया? इसे अख़बार का पत्रकार बनाओगी या किसी चैनल का? जवाब में बोली की भी नहीं। इसे आईपीएस बनाना है। उस दिन उसने बताया कि में पुलिस फ़ोर्स के लिए उसके मन में कितना सम्मान है कितनी आस्था है। शायद और बातें भी होतीं लेकिन उस दिन इस खेती मेले में कोई नई इवेंट शुरू हो गयी थी और हम सब उसकी कवरेज में व्यस्त हो गए। कोशिश होगी कभी जल्द ही बिंदु उप्पल पर कुछ विस्तार से सके। --रेक्टर कथूरिया (मीडिया स्क्रीन Online)