Tuesday, February 14, 2023

एकुपंक्चर के रहस्यों का पता लगा सकते हैं डा. ढींगरा से

पंजाब स्क्रीन में है डा. इंद्रजीत ढींगरा का विशेष आलेख 

लुधियाना:14 फरवरी 2023: (कार्तिका सिंह//मीडिया स्क्रीन डेस्क)::

आप पढ़ सकते हैं पंजाब स्क्रीन हिंदी में यहां क्लिक कर के
जब आज की तरह का आधुनिक चकाचौंध का दौर नहीं था उस समय नाम भी प्राचीन ढंग, तरीकों और उन  रिवाजों के हिसाब से रखे जाते थे जो उन दिनों आम हुआ करते थे। किसी का नाम होता था कनछेदी लाल तो किसी का नाम होता नकछेदी लाल। आज के युग में इस तरह के नामों का चलन बहुत निरथर्क सा लगता है लेकिन उस दौर के मुताबिक इनका गहरा अर्थ होता था।

ओशो एक जगह बताते हैं जब स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दवाएं ले कर भी ठीक नहीं होती थी तो लोग किसी सियाने/वैद/हकीम के पास पहुंचते और वह बताता कि इसका कान छिदवा दी जा इसका नाक छिदवा दो। छिदवाने की इस रस्म के बाद स्वास्थ्य की समस्या ठीक हो जाती। मैंने स्वयं भी ऐसे कई मामले देखे जब कुछ बच्चों और युवाओं का बुखार नाक या कान छिदवाने से ठीक पूरी तरह ठीक हो गया और हमेशां के लिए। वास्तव में इतनी सी औपचारिकता से शरीर के अंदर का सर्कट ठीक हो जाता था। शायद इसी ज्ञान ने बाद में एकुपंक्चर विज्ञान के तौर पर बहुत  विकास किया। एकुपंक्चर में भी केवल सुई चुभो कर शरीर की गंभीर बिमारिओं का इलाज किया जाता है। उत्तर भारत में सफलता से डाक्टर कोटनिस की स्मृति में शानदार अस्पताल चला रहे डाक्टर इंद्रजीत सिंह ढींगरा इस सिस्टम के बारे में बहुत ही पते की बातें बताते हैं। उनका अस्पताल लुधियाना के सलेम टाबरी इलाके में है और उनसे अपॉइंटमेंट ले कर मिला जा सकता है।  उन्होंने जो कुछ मीडिया को बताया उसे आप पढ़ सकते हैं पंजाब स्क्रीन हिंदी में यहां क्लिक कर के। 

आजकल जिस तेज़ी से नई नई बीमारियां बढ़ रही हैं और इनके साथ ही बेहद तेज़ी से बढ़ रही है दवाओं की बिक्री बउसे देखते हुए भविष्य कोई ज़्यादा सुंदर नज़र नहीं आता। पहले हर घर परिवार में सबसे ज़्यादा ज़रूरी रूटीन का समान हुआ करता था रसोई का राशन लेकिन आजकल सबसे ज़्यादा ज़रूरी हो गया है हर घर में परिवार के तकरीबन हर सदस्य के लिए दवाओं का बड़ा सा डिब्बा। 

दवाओं की इस जीवन भर चलने वाली नियमित ज़रूरत ने हर मध्यवर्गीय घर परिवार के बजट को बुरी तरह हिला रखा है। इसके बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं कि कुछ सप्ताह या कुछ महीने दवाएं खाने के बाद मरीज़ पूरी तरह से तंदरुस्त हो जाएगा। दवाओं पर निर्भरता जीवन भर का अभिशाप बन चुकी है। अख़बारों और दुसरे मीडिया में बड़े बड़े विज्ञापन दवाओं की बिक्री के भी आने लगे हैं। ज़ाहिर है इतने बड़े पैमाने पर होने वाली विज्ञापनबाजी का सारा खर्च इन दवाओं की बिक्री से ही निकलता होगा। 

इस मुद्दे पर जल्दी ही हम आपके सामने लाएंगे कुछ नए खोजपूर्ण आलेख और वीडियोज़ लेकिन फ़िलहाल आप पढ़ सकते हैं एकुपंक्चर के संबंध में डाक्टर इंद्रजीत सिंह ढींगरा से हुई बात पर आधारित जानकारी। इस आलेख से आपको मिल सकेगी उस थरेपी की जानकारी जो आपको निश्चित इलाज के बाद पूरी तरह ठीक होने का वायदा भी दे सकती है। बस क्लिक कीजिए यहां और पढ़ लीजिए सारी जानकारी।