Posted On: 20 DEC 2022 12:02PM by PIB Delhi
पत्र सूचना कार्यालय की फैक्ट-चेक इकाई ने सर्वोच्च न्यायालय, भारत के मुख्य न्यायाधीश और भारत के प्रधानमंत्री के बारे में फर्जी वीडियो की कलई खोली और यह भी बताया कि इन वीडियो के लाखों दर्शक थे। हर रोज़ दर्शकों के सामने मनमाना प्रचार मनमाने अंदाज़ में परोसा जा रहा था। लुभावने शब्दों में ऐसी बातें कि तुरंत यकीन हो जाए लेकिन जब वास्तविकता खंगालो तो सब कुछ आधारहीन। कुल मिला कर व्यापक स्तर का फ्राड समाज और सरकार की नाक के तले चल रहा था। ये लोग खुद को चैनल मालिक कहलाते हुए मनमाने प्रचार कर रहे थे।
भारत निर्वाचन आयोग, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर भी पूरी तरह से झूठी खबरें प्रसारित की गईं। लोगों तक दिन दिहाड़े भ्रामक प्रचारपहुंच रहा था और वो भी लगातार। यूटयूब की सुविधा और तकनोलोजी का इन लोगों ने जी भर का फायदा उठाया। मनमाने प्रचार किए और मनमानी बातें फैलाईं। लोग भी हैरान रह गए कि आखिर कौन है इनके पीछे। पत्र सूचना कार्यालय की फैक्ट-चेक इकाई ने पता लगाया है कि इन यूट्यूब चैनलों के 33 लाख सब्सक्राइबर हैं और इन्हें 30 करोड़ से अधिक बार देखा गया है
चालीस से अधिक फैक्ट-चेक श्रृंखला के क्रम में पत्र सूचना कार्यालय की फैक्ट-चेक इकाई (एफसीयू) ने यूट्यूब के ऐसे तीन चैनलों का भंडाफोड़ किया है, जो भारत में फर्जी खबरें फैला रहे थे। इन यूट्यूब चैनलों के लगभग 33 लाख सब्सक्राइबर थे। इनके लगभग सभी वीडियो फर्जी निकले; बहरहाल इन्हें 30 करोड़ से अधिक बार देखा गया है। अभी केवल तीन चैनलों का ही भंडाफोड़ हुआ है लेकिन वास्तव में इस तरह के लोगों और चैनलों की संख्या बहुत अधिक होगी। इन के नेटवर्क से भी कितने लोग जुड़े होंगें इसकी संख्या सामने आना भी अभी बाकी है।
यह पहली बार है जब पत्र सूचना कार्यालय ने सोशल मीडिया पर व्यक्तियों द्वारा झूठी बातें फैलाने को मद्देनजर रखते हुए सभी यूट्यूब चैनलों की कलई खोलकर रख दी है। पत्र सूचना कार्यालय ने तथ्यों की जो पड़ताल की है, उसका विवरण इस प्रकार हैः
क्र. सं. यूट्यूब चैनल का नाम सब्सक्राइबरों की संख्या कितनी बार देखा गया
1. न्यूज हेडलाइन्स 9.67 लाख 31,75,32,290
2. सरकारी अपडेट 22.6 लाख 8,83,594
3. आज तक LIVE 65.6 हजार 1,25,04,177
यूट्यूब के उपरोक्त चैनल माननीय सर्वोच्च न्यायालय, माननीय मुख्य न्यायाधीश, सरकारी योजनाओं, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों, कृषि ऋणों को माफ करने आदि के बारे में झूठी और सनसनीखेज खबरें फैलाते हैं। इनमें फर्जी खबरें भी शामिल रहती हैं। उदाहरण के लिये इन फर्जी खबरों में सर्वोच्च न्यायालय यह आदेश देने वाला है कि भावी चुनाव मतपत्रों द्वारा होंगे; सरकार बैंक खाताधारियों, आधार कार्ड और पैन कार्ड धारकों को धन दे रही है; ईवीएम पर प्रतिबंध आदि खबरें शामिल हैं।
यूट्यूब के इन चैनलों के बारे में गौर किया गया कि ये फर्जी और सनसनीखेज थंबनेल लगाते हैं, जिनमें टीवी चैनलों के लोगो तथा उनके न्यूज एंकरों की फोटो होती है, ताकि दर्शकों को यह झांसा दिया जा सके कि वहां दिये गये समाचार सही हैं। इन चैनलों के बारे में यह भी पता लगा है कि ये अपने वीडियो में विज्ञापन भी चलाते हैं तथा यूट्यूब पर झूठी खबरों से कमाई कर रहे हैं।
पत्र सूचना कार्यालय की फैक्ट-चेक इकाई की कार्रवाई के क्रम में पिछले एक वर्ष में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक सौ से अधिक यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक कर दिया है। अभी जांचपड़ताल और आगे बढ़ी तो और नाम भी सामने आएंगे। देश की एकता, अखंडता साम्प्रदायिक सदभाव के खिलाफ भ्रामक प्रचार करने वाले चैनलों की संख्या अभी अलग से होगी।