Wednesday, March 21, 2018

रीतू कलसी ने किया समाज को अनैतिक बनाने की साजिश का पर्दाफाश

बच्चों को टीवी पर वल्गैरिटी दिखाने की "मजबूरी" पर उठाये सवाल 
नई दिल्ली: 21 मार्च 2018: (मीडिया स्क्रीन डेस्क):: 
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शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब रेप या छेड़छाड़ की खबरें न आती हों। विकास और तकनीक के दावों  की धज्जियां उड़ाते हुए गुंडे किस्म के लोग इस तरह के अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। कई बार तो ऐसे लोगों में बड़ी उम्र के लोग, सफेदपोश लोग और धार्मिक स्थलों में काम करने वाले लोग भी शामिल रहते हैं। लड़कियों और महिलाओं के लिए शायद ही कोई जगह सुरक्षित बची हो। अगर इस पर कभी विवाद खड़ा भी होता है तो उसे बहुत ही चालाकी से लड़कियों के फैशन या आधुनिक सोच की ज़िम्मेदारी बता दिया जाता है। बात न बने तो कह दिया जाता है कि आरोपी ने कोई नशा कर रखा होगा।  वास्तविक मुद्दे को दबाने की साज़िशी कोशिश में सारा विवाद अलग अलग दिशाओं की तरफ ले जाया जाता है और इतने में ही कोई न कोई और नई घटना हो जाती है। इस सारे घटनाक्रम में इस बात पर पर्दा डाल दिया जाता है कि मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी को भूलते हुए लगातार ऐसा अनैतिक माहौल पैदा कर रहा है जिसमें कभी कभी सही सोच भी प्रदूषित हो जाती है। अगर  गीत लिखे जाते हैं तो उनमें लडकीयों की कमर और वज़न का मापतोल गिना जाता है। अगर टायर का विज्ञापन हो तो कहा जाता है फलां टायर खरीदो तो लड़कियां फंसेंगी।  अगर फलां परफ्यूम इस्तेमाल करो तो लड़कियां फंसेंगी। अगर यह बाईक चलायो तो लड़कियां फंसेंगी। हर मामले में लड़कियों की देह का प्रदर्शन इस सिस्टम में अब आवश्यक बन चुका  है। तथाकथित ज्योतिषी और तांत्रिक भी पीछे नहीं रहे। स्पष्ट कहते हैं-हमारे पास आओ 11 मिण्टस, 21 मिंट या फिर एक घंटे में वो लड़की तड़पती हुई आपके कदमों में आएगी। 
आसानी से समझा जा सकता है कि कच्ची उम्र के बच्चों और नवयुवकों के मन में किस तरह के अनैतिक समाज का निर्माण हो रहा है। इसका पर्दाफाश किया है सरगर्म और जोशीली पत्रकार रीतू कलसी ने सिने दुनिया में।  मीडिया में रहते हुए मीडिया के कारनामों को उजागर करना आसान नहीं होता। आजकल के कार्पोरेट मीडिया में जिस तेज़ी से पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाने की करवाई की जाती है उसने बड़ों बड़ों को खामोश रहना सीखा दिया है। खबरों के सच के कारण दुश्मन बने लोग भी कातिलाना हमलों से बाज़ नहीं आते। सड़क हादसों में पत्रकारों की मौत अचानक नहीं हुआ करती। इसके बावजूद रीतू कलसी की हिम्मत एक नई उम्मीद जगाती है। सच के ज़िंदा रहने की उम्मीद। हमारे मीडिया जगत की जांबाज़ पत्रकार है रीतू कलसी। हम रीतू को इस तरह की दलेरी भरी पोस्टों पर बधाई देते हए वायदा करते हैं कि हम इस हिम्मत में हमेशां साथ देंगें।