Thursday, February 28, 2013

2013-14 में करीब 839 एफएम चैनलों की नीलामी

28-फरवरी-2013 15:14 IST
एक लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में निजी एफएम रेडियो

वित्‍त मंत्री श्री पी चिदंबरम ने आज लोकसभा में वर्ष 2013-14 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार का 294 और शहरों में निजी एफएम रेडियो की सेवाएं पहुंचाने का प्रस्‍ताव है। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में करीब 839 नए एफएम चैनलों की नीलामी की जाएगी। नीलामी के बाद एक लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में निजी एफएम रेडियो सेवाएं उपलब्‍ध हो जाएंगी। (PIB)
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मीणा/राजगोपाल/प्रदीप/ सुधीर/संजीव/इन्‍द्रपाल/बि‍ष्‍ट/ शदीद/सुनील/शौकत/मनोज- 769

Wednesday, February 27, 2013

मीडिया की काली करतूत//अमलेन्दु उपाध्याय

जिसकी हो चुकी हत्या उसे बताया हैदराबाद का गुनाहगार 
पाकिस्तान की मुत्तहिदा कौमी मूवमेन्ट
(एमक्यूएम) के लीडर मरहूम एपीए मंज़र इमाम
हैदराबाद बम विस्फोट के बाद भारतीय मीडिया भले ही सरकार और जाँच एजेंसियों पर दबाव बनाने में कामयाब हो गया हो लेकिन न केवल उसकी साम्प्रदायिकता और कट्टरपंथी हिन्दुत्ववादी ताकतों से साँठ-गाँठ उजागर हो गयी बल्कि यह भी उजागर हो गया कि आतंकवाद के खेल में मीडिया घरानों की भूमिका भी कम संदिग्ध नहीं है। जहाँ एक ओर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर मीडिया ट्रायल पर गम्भीर चिन्ता जता रहे हैं वहीं पाकिस्तान के एक अखबार ने यह पोल खोल दी है कि भारतीय मीडिया हैदराबाद बम विस्फोट में जिस संदिग्ध को दिखा रहा है उसकी तो पहले ही हत्या हो चुकी है।
हाल ही में जस्टिस अल्तमस कबीर ने पटना में एक कार्यक्रम में इस बात पर चिन्ता जतायी थी कि ट्रायल अदालतों में ही होना चाहिये और फैसला अदालतों में ही होना चाहिये। लेकिन ऐसी बातें चाहे जस्टिस कबीर कहें या जस्टिस मार्कण्डेय काटजू, हमारे मीडिया की समझ में यह बातें आना बन्द हो गयी हैं। तमाशा यह है कि आईबी या पुलिस अपनी चार्जशीट पहले मीडियाकर्मियों को उपलब्ध करा देती है और मीडिया उसे अपनी स्पेशल रिपोर्ट बताकर चिल्लाना और सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर देता है। हैदराबाद बम ब्लास्ट के बाद भी ऐसा देखने में आ रहा है। जब विस्फोट के दस मिनट बाद ही मीडिया एक सुर में चिल्लाने लगा कि इसके पीछे इण्डियन मुजाहिदीन का हाथ है और पूरी रटी-रटायी थ्योरी एक्सक्ल्यूसिव स्टोरी बताकर प्रसारित होने लगी।
पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने खुलासा किया है कि कुछ भारतीय मीडिया घराने इस ब्लास्ट में जिस संदिग्ध को दिखा रहे हैं वह पाकिस्तान की मुत्तहिदा कौमी मूवमेन्ट (एमक्यूएम) के लीडर मरहूम एपीए मंज़र इमाम का चित्र है। इतना ही नहीं गम्भीर बात यह है कि इमाम की हत्या बीती 17 जनवरी को हो चुकी है और तालिबानी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने इस हत्या की जिम्मेदारी कुबूल की है। मजे की बात यह है कि भारतीय मीडिया इमाम का चित्र दिखा कर उन्हें न सिर्फ इण्डियन मुजाहिदीन का सदस्य बता रहा है बल्कि हैदराबाद के संभावित गुनाहगारों में दिखा रहा है।
यहाँ सवाल उठता है कि खुफिया एजेन्सियों के प्रोपेगण्डा को ख़बर बनाकर चलाना कहाँ की पत्रकारिता है। क्या किसी खबर को प्रकाशित करने या ऑन एयर करने से पहले उसकी थोड़ी सी भी पड़ताल करना मीडियाकर्मियों के पेशे की नैतिकता में शामिल नहीं है। लोकतन्त्र के कथित चौथे खम्भे की ऐसी काली करतूतें देश विभाजन की भूमिका तैयार करती हैं।
सोशल मीडिया पर भी भारतीय मीडिया की इस काली करतूत की जमकर भर्त्सना हो रही है। फेसबुक पर एक पत्रकार ने मज़ाक उड़ाते हुये लिखा है – इट्स नॉट फेयर यार। इण्डियन मीडिया के बारे में ऐसा नहीं कहते….. यार अब वो भी क्या करें? आईबी वालों ने गरीब रिपोर्टर्स को जो दिया वो उन्होंने चला दिया… इसमें उनकी क्या गलती है? भाई मैं तो अपने भाइयों के साथ हूँ।
ऐसा नहीं है कि यह कोई पहला मौका है जब भारतीय मीडिया का काला चेहरा सामने आ रहा है। पहले भी कई मौकों पर इसका साम्प्रदायिक चरित्र उजागर हो चुका है। पत्रकार गिलानी प्रकरण में भी मीडिया ने अपना साम्प्रदायिक चरित्र दिखाया था।
मानवाधिकार कार्यकर्ता महताब आलम सवाल उठा रहे हैं कि हैदराबाद ब्लास्ट में कम से कम 6 लोग हिरासत में लिये गये या उनसे पूछताछ की गयी जबकि 13 के नाम उस सूची में हैं जिनसे पूछताछ की जानी है। सभी मुस्लिम हैं। वह व्यंग्य करते हैं- “कौन कहता है कि भारत में मुसलमानों के लिये आरक्षण नहीं है? आतंक का कोई रंग नहीं होता है लेकिन निश्चित रूप से यह इस्लामिक आतंकवाद है।“

(हस्तक्षेप से साभार) 


मीडिया: कोयले की दलाली से कोयले के व्यापार तक

संसदीय कार्य मंत्री श्री कमलनाथ:

26-फरवरी-2013 19:19 IST
राज्‍य सभा में दिया गया वक्‍तय:
तथा माकपा के मुख पत्र 'देशाभिमानी' ने उसे तुरंत प्रकाशित कर दिया
हाल ही में, माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिए गए निर्णय, जिसे 'सूर्यानेली' प्रकरण का नाम दिया जा रहा है, के पश्‍चात एक विवाद खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। मीडिया के एक वर्ग तथा कुछ राजनैतिक दलों ने इस विवाद में राज्‍य सभा के उप-सभापति प्रो. पी. जे. कुरियन का नाम घसीटने की कोशिश की है। इस संबंध में, मेरा वक्‍तव्‍य निम्‍न प्रकार है:- 

यह बात जोरदार ढंग से कह गई है कि इस प्रकरण ('सूर्यानेली' प्रकरण के नाम से ज्ञात), जिसकी अपील पर पुन: सुनवाई कराए जाने के लिए इसे माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने केरल उच्‍च न्‍यायालय को वापिस लौटा दिया है, में प्रो. पी. जे. कुरियन कभी एक अभियुक्‍त नहीं रहे। 

सूर्यानेली प्रकरण 17/01/1996 में दायर किए गए एफआईआर सं. 71/96 के आधार पर शुरू हुआ जिसमें एक लड़की ने कतिपय लोगों द्वारा उस पर किए गए बलात्‍कार की शिकायत की थी। बाद में लड़की ने खुलासा किया कि 42 लोग अभियुक्‍त के रूप में सूचीबद्ध हैं। उस समय प्रो. पी. जे. कुरियन का कोई उल्‍लेख नहीं था। 

लगभग दो महीने बाद, 1996 के आम चुनाव की पूर्व संध्‍या पर उस लड़की ने यह शिकायत तत्‍कालीन मुख्‍य मंत्री श्री ए. के. एंटोनी के पास भेजी जिसमें उसने यह आरोप लगाया कि प्रो. पी. के. कुरियन भी इस प्रकरण में संलिप्‍त हैं तथा मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के मुख पत्र 'देशाभिमानी' ने उसे तुरंत प्रकाशित कर दिया। 

प्रो. कुरियन ने तुरंत इस मामले में पुलिस महानिदेशक से जांच का अनुरोध किया। उन्‍होंने, साथ ही, उस लड़की और 'देशाभिमानी' कि तत्‍कालीन मुख्‍य संपादक श्री ई. के नयनार के विरुद्ध मानहानि का नोटिस दिया। 

आरोप की जांच, एक वरिष्‍ठ आईपीएस अधिकारी, श्री राजीवन द्वारा की गई जिन्‍होंने, 30 से भी अधिक साक्षियों, दूरभाष अभिलेखों, राज्‍य कार चालक के बयान, राज्‍य कार के लॉग बुक, दूरी कथित स्‍थान तक पहुंचने के लिए लगने वाले समय, की जांच करने के बाद इस ठोस नतीजे पर पहुंचे कि ''अपराध के कथित स्‍थान तक पहुंचना प्रो. कुरियन के लिए व्‍यावहारिक दृष्टि से असंभव था'' और इसलिए प्रो. कुरियन इस अपराध में बिल्‍कुल ही संलिप्‍त नहीं हैं। जांच से यह भी निष्‍कर्ष सामने आया कि प्रो. कुरियन के विरुद्ध आरोप ''या तो वास्‍तव में एक गलती है अथवा लड़की का उपयोग उनके राजनैतिक विरोधियों द्वारा एक हथकंडे के रूप में किया जा रहा है।'' 

उसी चुनाव के दौरान लड़की के पिता ने सीबीआई की जांच कराने की मांग करते हुए उच्‍च न्‍यायालय में एक याचिका दायर की। तथापि, लोक सभा चुनावों के बाद न तो उन्‍होंने मामले को आगे बढ़ाया और न ही वे न्‍यायालय में उपस्थित हुए और इसीलिए, इस मामले को गैर अभियोजन के कारण खारिज कर दिया गया। इस बात से स्‍वाभाविक निष्‍कर्ष यह निकलता है कि वे जांच रिपोर्ट से संतुष्‍ट थे अथवा यह याचिका सिर्फ चुनावों के दौरान इस्‍तेमाल किए जाने के मकसद से दायर की गई थी। 

वाम मोर्चा के मुख्‍यमंत्री श्री ई. के. नयनार, जिन्‍होंने प्रो. कुरियन के विरुद्ध आरोप लगाए और जो अब प्रो. कुरियन द्वारा दायर किए गए अवमानना के मुकदमें में आरोपित हैं, ने पुलिस उप-महानिरीक्षक श्री सिबी मैथ्‍यू के नेतृत्‍व में जांच दल का गठन किया। विस्‍तृत जांच और सभी साक्षियों से पुन: पूछताछ करने पर यह दल इस निष्‍कर्ष पर पहुंचा कि प्रो. कुरियन संलिप्‍त नहीं हैं। 

श्री नयनार ने एक अन्‍य आईपीएस अधिकारी श्री सोम सुंदर मेनन द्वारा तीसरी जांच का आदेश दिया, जिसने पूर्ण जांच की और यहां तक कि प्रो. कुरियन से अलग हो चुके कर्मचारी से भी पूछताछ के उपरांत उसी निष्‍कर्ष पर पहुंचे कि प्रो. कुरियन संलिप्‍त नहीं हैं। इस बीच निचली अदालत ने प्रो. कुरियन द्वारा दायर किये गये मानहानि के मुकदमे को उनके पक्ष में चलाने के लिए स्‍वीकार किया और श्री नयनार एवं उस लड़की ने उच्‍च न्‍यायालय में अपील दायर की। 

1999 के आम चुनाव की पूर्व संध्‍या पर इस लड़की ने पुन: इसी मुद्दे पर न्‍यायालय में एक निजी शिकायत दायर की थी, जिसको प्रो. कुरियन ने चुनौती दी और मामला उच्‍चतम न्‍यायालय तक गया। उच्‍चतम न्‍यायालय ने खारिज करने के लिए इसे उपयुक्‍त मामला समझा और प्रो. कुरियन को निचली अदालत से उन्‍मोचन के लिए याचिका दायर करने का निदेश दिया। तद्नुसार, उन्‍मोचन याचिका दायर की गई जिसे निचली अदालत में स्‍वीकार नहीं किया गया, परंतु उच्‍च न्‍यायालय ने अप्रैल, 2007 में 71 पृ‍ष्‍ठों के अपने निर्णय में शिकायतकर्ता द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार करने के बाद उन्‍हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। यहां इस बात का उल्‍लेख करना होगा कि स्‍वयं वाम मोर्चा सरकार द्वारा नियुक्‍त किए गए जांच अधिकारी, श्री के. के. जोशुआ, एसपी ने न्यायालय में यह लिखित वक्‍तव्‍य प्रस्‍तुत किया कि प्रो. कुरियन इसमें शामिल नहीं हैं। उच्‍च न्‍यायालन ने समुक्ति की थी कि- 

''मुझे पता चल रहा है कि इस मामले में पेश की गई परिस्थितियों और सबूतों से यह साबित होता है‍ कि याचिकाकर्ता पर थोपा गया मामला झूठा है। यह काफी दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि याचिकाकर्ता को पिछले एक दशक से भी अधिक समय से कुत्सित स्‍वरूप के इस झूठे मामले के कटु अनुभव से गुजरना पड़ा है।'' 

इस निर्णय की जांच करने पर यह पता चलेगा कि उच्‍च न्‍यायालय ने निजी शिकायत का निर्णय इसके गुणागुण आधार पर किया जो सुर्यानेली मामले, जिसमें आरोपी व्‍यक्तियों को बरी कर दिया गया था, से स्‍वतंत्र रहकर दिया गया था। 

वाम मोर्चा सरकार ने अपील दायर की, परंतु उच्‍चतम न्‍यायालय ने उसे नवम्‍बर, 2007 में खारिज कर दिया और उन्‍मोचन की पुष्टि की। उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्णय को अब तक किसी ने चुनौती नहीं दी है। वाम मोर्चा सरकार, जो उस समय सत्‍ता में थी, ने पुनर्विलोकन याचिका भी दायर नहीं की। 

इस प्रकार की धारणा बनाने की कोशिश की गई है कि कुछ नए तथ्‍य प्रकट हुए हैं। ये सभी नए तथ्‍य, विशेषकर, दोषसिद्ध व्‍यक्ति द्वारा 17 वर्ष बाद दिए गए वक्‍तव्‍य से, जिसे जांच दल के समक्ष अथवा न्‍यायालय में देने का मौका उसके पास था, उससे प्रो. कुरियन की कथित जगह पहुंचने की असंभाव्‍यता के सिद्ध तथ्‍य को चुनौती नहीं मिलती, जो टेलीफोन रिकार्ड, राज्‍य की कार के ड्राइवर सहित मुख्‍य गवाहों, राज्‍य की कार की लॉग बुक और इसमें लगने वाले समय और दूरी के आधार पर सिद्ध हु‍आ है- उक्‍त निष्‍कर्ष उपर्युक्‍त तीन जांच दलों द्वारा निकाला गया था। 

यह मामला विपक्ष द्वारा केरल विधानसभा में उठाया गया था। अभियोजन महानिदेशक और उच्‍चतम न्‍यायालय में शिकायतकर्ता लड़की का मुकदमा लड़ने वाले उच्‍चतम न्‍यायालय के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता और केरल सरकार के विधि सचिव की ओर से केरल सरकार को प्राप्‍त कानूनी राय में यह कहा गया है कि कोई मामला नहीं बनता है। (PIB)

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वि.कासौटिया/अरुण/मनोज-723

Saturday, February 23, 2013

साइबर क्षेत्र में लड़ाइयों के लिये तैयारी


23.02.2013, 16:25
चीन ने बना रक्खे हैं इस मकसद के लिए गुप्त दल ? 
हम तो  किसी एक आध व्यक्ति की साईट हैक हो जाने पर ही चिंतित  हो जाते थे पर  अब  मामला गंभीर हो चूका है। साईबर सुरक्षा का मुद्दा अब पूरी दुनिया की चिंता बन चूका है।साइबर क्षेत्र में लड़ाइयों के लिये तैयारी शीर्षक से रेडियो रूस ने इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी है। रेडियो रूस ने अपनी खबर में एक अमेरिकी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि चीन ने इस मकसद के लिए गुप्त दल भी बना रक्खे हैं।

साइबर सुरक्षा का विषय विश्व राष्ट्र समुदाय के लिये अधिकाधिक महत्त्वपूर्ण बनता जा रहा है। हाल में चीन और अमरीका ने एक दूसरे पर साइबर हमलों के जो आरोप लगाये वे इस बात का एक और प्रमाण हैं।

इस हफ्ते अमरीकी कंपनी मेंडियन्ट ने इंटरनेट पर चीन की गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट जारी की जिस में कहा गया है कि चीनी सरकार ने ऐसे गोपनीय हैकर दल बनाये जो इंटरनेट के ज़रिये औद्योगिक जासूसी करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकरों ने 141 कंपनियों पर साइबर हमले करके उनकी गोपनीय सूचनाओं की चोरी की। मेंडियन्ट का दावा है कि ये हमले शंघाई स्थित एक इमारत से जो कि चीन की जन मुक्ति सेना की संपत्ति है, किये गये । चीन में वास्तव में ऐसे शक्तिशाली विभाग मौजूद हैं जिन का उद्देश्य शत्रु के सूचना नेटवर्क को खराब करना और इंटरनेट के उपयोग से जासूसी करना है।

रूस के रणनीति एवं प्रैद्योगिकी विश्लेषण केंद्र के विशेषज्ञ वसीली काशिन ने बताया – चीन की मुख्य गुप्तचर संस्था - प्रधान मुख्यालय का तीसरा विभाग है जिस के काम के दायरे में रेडियो इंटरसेप्शन, अंतरिक्षीय गुप्तचर और इंटरनेट के ज़रिये जासूसी आती है। और चौथा विभाग आक्रमणकारी स्वरूप की साइबर कार्रवाइयाँ करता है। उसके काम का मुख्य क्षेत्र – रेडियो इलेक्ट्रोनिक संघर्ष है।

वसीली काशिन के कथनानुसार चीनी साइबर जासूसों की मुख्य उपलब्धि – अमरीकी लड़ाकू विमान एफ-35 से जुड़ी जानकारी की चोरी है। पिछले साल जब चीनी लड़ाकू विमान एफ-31 के परीक्षण शुरू हो गये थे तब इस बात का पता चला कि उसका ढांचा अमरीकी एफ-35 के ढांचे जैसा है।

आगे चलकर वसीली काशिन ने कहा – इस को ऐतिहासिक घटना कहा जा सकता है। साइबर जासूसी की संभावनाओं का उपयोग करते हुए ऐसे जटिल उपकरणों का निर्माण पहली बार किया गया। अभी यह बात मालूम नहीं है कि इस चीनी विमाण का औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन किया जायेगा या नहीं, लेकिन चीन द्वारा ऐसी बड़ी सफलता प्राप्त ही की गयी।

बेशक स्वयं चीन इस बात का खंडन करता है। चीन की जन मुक्ति सेना के प्रवक्ता गेन यानशेन ने याद दिलाया कि चीनी कानूनों के अनुसार साइबर सुरक्षा भंग करनेवाली गतिविधियाँ करना मना है। इस के साथ साथ उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यदि अपराधियों ने इंटरनेट पर चीनी सर्वरों का उपयोग किया तो यह इस बात का प्रमाण नहीं है कि वे स्वयं चीन में थे। अंत में चीनी प्रवक्ता ने कहा कि चीनी सर्वरों पर भी अक्सर साइबर हमले किये जाते हैं।
 © Photo: SXC.hu

Friday, February 15, 2013

नुक्‍कड़ नाटक के रूप में कार्यक्रम का प्रस्‍तुतीकरण

15-फरवरी-2013 17:58 IST
कुंभ मेले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का जमुनिया कार्यक्रम
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपनी मीडिया इकाई संगीत और नाटक प्रभाग के जरिए अपने अभिनव कार्यक्रम के हिस्‍से के रूप में इलाहाबाद कुंभ मेले में जमुनिया विषय पर आधारित 14 दिन का ध्‍वनि और प्रकाश कार्यक्रम संचालित किया। यह कार्यक्रम मेले के माहौल को देखते हुए उचित रूप से ढ़ाला गया था। जमुनिया ध्‍वनि और प्रकाश कार्यक्रम शुरू में नुक्‍कड़ नाटक के रूप में अपनाया गया । इसका शीर्षक है जमुनिया-आकांक्षा उभरते भारत की । 

नुक्‍कड़ नाटक ने इलाहाबाद के कुंभ मेले में बड़ी संख्‍या में श्रद्धालुओं को आकर्षित किया और यह कार्यक्रम कई दिनों तक दिन के समय प्रस्‍तुत किया गया। नुक्‍कड़ नाटक की अवधि 45 मिनट थी और कुंभ मेले के परिसर में प्रस्‍तुत इस कार्यक्रम की लाखों श्रद्धालुओं में अनुकूल प्रतिक्रिया हुई। इस पहल ने मुख्‍य कार्यक्रम जमुनिया-तस्‍वीर बदलते भारत की ने भीड़ को आकर्षित करने में सफलता प्राप्‍त की। यह कुंभ मेले के मुख्‍य स्‍थल से थोड़ा हटकर इलाहाबाद के कंपनी बाग मैदान में सायंकाल के समय प्रस्‍तुत किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 150 कलाकारों ने भाग लिया और इसकी कुल अवधि 2 घंटे 20 मिनट थी। 

जमुनिया-तस्‍वीर बदलते भारत की ध्‍वनि और प्रकाश कार्यक्रम एक ग्रामीण महिला की कहानी है जो अभाव और गरीबी से उठकर एक स्‍थानीय नेता के रूप में उभरती है और अंतत: एक ग्राम सरपंच बनती है। वह केंद्र सरकार के सूचना के अधिकार और शिक्षा के अधिकार सहित विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण्‍ कार्यक्रम का लाभ उठाती है। 

सन 2010 में शुरू किये गए जमुनिया ध्‍वनि और प्रकाश कार्यक्रम देश के अनेक भागों में प्रस्‍तुत किया जा चुका है। इनमें राजकोट,पोरबंदर,पन्‍ना, अमरावती, सीकर, हरिद्वार, रायबरेली और अमेठी प्रमुख शहर हैं। 

जमुनिया ध्‍वनि और प्रकाश कार्यक्रम भारत की प्रमुख भाषाओं यथा पंजाबी, गुजराती, उडि़या, बंग्‍ला, असमिया, कन्‍नड़ ,तेलुगु, मलयालम आदि में रूपांतरित किया जा चुका है और यह देश के अन्‍य भागों में भी प्रस्‍तुत किये जाने के लिए तैयार है। (PIB)

नुक्‍कड़ नाटक के रूप में कार्यक्रम का प्रस्‍तुतीकरण
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पंडित नेहरू का ऐतिहासिक भाषण

14-फरवरी-2013 16:52 IST
‘ट्राइस्‍ट विद डेस्टिनी’ अब यू ट्यूब पर 
केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री के. चिरंजीवी के निर्देशानुसार पर्यटन मंत्रालय ने अपने ऐतिहासिक लेखागार से सभी आडियो और वीडियो क्‍लिपिंग इंटरनेट पर अपलोड करने की शुरूआत कर दी है। मंत्रालय ने एक अलग यू-ट्यूब चैनल www.youtube.com/india की भी शुरूआत की है। 
मंत्रालय ने आज स्‍वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रसिद्ध भाषण ‘ट्राइस्‍ट विद डेस्टिनी’ को यूट्यूब की सामान्‍य वेबसाइट और मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। भाषण के बाद भारत के राष्‍ट्रगान की ऐतिहासिक रिकार्डिंग भी सुनी जा सकती है। डिजिटल रूप से संकलित किया गया यह भाषण इससे पहले दिल्‍ली के लाल किले के 58 मिनट के ‘लाइट एंड साउंड शॉ’ के अंत में सुना जा सकता था। (PIB)

वि.कासोटिया/रजनी- 583

फ्रांस के राष्‍ट्रपति की राजकीय यात्रा

14-फरवरी-2013 17:23 IST
प्रधानमंत्री का मीडिया को दिया गया वक्‍तव्‍य 
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का, फ्रांस के राष्‍ट्रपति श्री फ्रांस्‍वा ओलांदे की भारत की राजकीय यात्रा पर, मीडिया को दिये गये वक्‍तव्‍य का मूल पाठ इस प्रकार है: 

मुझे फ्रांस के राष्‍ट्रपति फ्रांस्‍वा ओलांदे की भारत की राजकीय यात्रा पर स्‍वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। एशिया में भारत उनकी द्विपक्षीय यात्रा का पहला पडाव है। यह दोनों देशों के बीच संबंधों के महत्‍व को दर्शाता है। 

भारत फ्रांस को अपना बहुत महत्‍वपूर्ण सहयोगी मानता है। फ्रांस ने कठि‍नाई की घड़ी में हमें जबर्दस्‍त समर्थन दिया है। हमारे संबंध विभिन्‍न क्षेत्रों में सहयोग और बातचीत में गहनता से परिभाषि‍त होते हैं। आज जारी किया जाने वाला संयुक्‍त वक्‍तव्‍य हमारे आपसी हित की गतिविधियों को परिलक्षित करता है। 

मैंने और राष्‍ट्रपति ओलांदे ने आज अनेक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुप‍क्षीय साझा और आपसी हित के मामलों पर विचार विमर्श किया। हमने जैतपुर परमाणु उर्जा परियोजना की प्रगति की समीक्षा की और वाणिज्‍यि‍क और तकनीकी बात‍चीत पूरी होने के बाद उसके शीघ्र क्रियान्‍वयन के लिए प्रतिबद्धता दौहराई। 

हमने सुरक्षा सहयोग में प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया, जो गुणवत्‍ता की दृष्‍टि‍ से नई उंचाइयों पर पहुचने वाला है। एमएमआरसीए अनुबंध पर चर्चाओं में अच्‍छी प्रगति हो रही है। हमने कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के बारे में बातचीत पूरी कर ली है, जिसे सरकार द्वारा स्‍वीकृ‍ति‍ मिलने पर भारत में ही विकसि‍त और निर्मित किया जाएगा। रक्षा व्‍यापार में भारत में ही रक्षा उपकरणों का सहविकास और सहनिर्माण एक स्‍वागत योग्‍य बदलाव है। इससे हमारा घरेलू उत्‍पादन आधार बढ़ेगा और भारत फ्रांस भागीदारी मजबूत होगी। 

हमारे बीच आतंक विरोधी और खुफिया क्षेत्रों में और मजबूती लाने पर भी सहमति हुई। फ्रांस हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में लंबे समय से भागीदार है। मुझे सितम्‍बर 2012 में इसरो के 100वें मिशन को देख कर खुशी हुई, जिसमें फ्रांससी उपग्रह को कक्षा में सफलता पूर्वक स्‍थापित किया गया। इसी महीने बाद में इसरो एकीकृत सरल उपग्रह का प्रक्षेपण करेंगा, जो फ्रांस के नेशनल स्‍पेस एजेंसी के पेलोड अल्‍टिका और अरगोस को साथ ले जाएगा। 

राष्‍ट्रपति ओलांदे और मेरे बीच द्विपक्षीय आर्थिक सहायोग बढ़ाने की दिशा में भी सहमति हुई। हम भारत के साथ आर्थिक संबंधों के लिए फ्रांस के विशेष प्रतिनिधि की नियुक्‍ति‍ का स्‍वागत करते है। हम अपने आर्थिक संबंधों को उर्जित करने के लिए भारत फ्रांस सीईओ फोरम की सिफारिशों का इंतजार कर रहें हैं। 

व्‍यापक आधार वाले भारत/ईयू व्‍यापार और निवेश समझौता, जिस पर बातचीत चल रही है, दोनों देशों के बीच व्‍यापार और निवेश की नई संभावनाएं बढ़ायेगा। मैने राष्‍ट्रपति ओलांदे से एक संतुलित और आपसी हित वाला समझौता शीघ्र करने के लिए समर्थन का आग्रह किया है। भारत और फ्रांस के बीच संस्‍कृति संबंधों को मजबूत करने में महत्‍वपूर्ण है। ‘बोंजोर इंडिया’ का दूसरा संस्‍करण शीघ्र ही आयोजित किया जाएगा। आज हस्‍ताक्षरित नया सांस्‍कृतिक आदन प्रदान कार्यक्रम और केंस फेस्‍टिवल सहित फ्रेंच फिल्‍म फेस्टिवल्‍स का भारतीय सिनेमा के शताब्‍दी समारोह के आयोजन के निर्णय से हमारे सांस्‍कृतिक संबंध और मजबूत होंगे। 

राष्‍ट्रपति ओलांदे और मैंने क्षेत्रीय और वैश्‍विक मुद्दों पर सार्थक चर्चायें की। वैश्‍विक अर्थव्‍यवस्‍था और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष जैसे अनेक मुद्दों पर फ्रांस और भारत के विचार एक समान हैं। हमने माली की स्थिति पर भी चर्चा की। माली की रक्षा सेनाओं और अफ्रीका के नेतृत्‍व में इंटरनेशनल सपोर्ट मिशन के समर्थन में भारत ने हाल ही में अदिस अबाबा में हुए डोनर्स सम्‍मेलन में 10 लाख अमरीकी डॉलर सहायता देने की घोषणा की है। 

मैं एक बार फिर भारत में राष्‍ट्रपति ओलांदे का स्‍वागत करता हूं और अपने विशेष द्विपक्षीय संबंधों को व्‍यापक और मजबूत बनाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करूंगा। (PIB)
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वि.कासोटिया/राजेन्‍द्र/रामकिशन-585

Saturday, February 9, 2013

शुभ यात्रा पत्रिका का विमोचन

08-फरवरी-2013 19:30 IST
नागर विमानन मंत्री ने शुभ यात्रा पत्रिका का विमोचन किया 
नागर विमानन मंत्री श्री अजित सिंह ने आज शुभ यात्रा पत्रिका का विमोचन किया। एयर इंडिया की यह विशिष्ट द्वि-भाषी (हिन्दी और अंग्रेजी) मासिक पत्रिका है, जो विशेष रूप से विमान यात्रा के दौरान पढ़ने के लिए है। इसमें यात्रा, जीवन शैली, संस्कृति और मनोरंजन के सभी रंग शामिल होंगे। विमान यात्रा के दौरान उपलब्ध कराई जाने वाली पत्रिका का यह नया नाम है। (PIB)***
वि.कासोटिया/क्वात्रा/शदीद-516

Monday, February 4, 2013

मीडिया जगत में लोकप्रिय: मोबाइल रेडियो रूस

14.10.2009, 17:19
रेडियो रूस के प्रसारण 17 की जगह 39 भाषाओं में 
रेडियो रूस एक नई परियोजना शुरू कर रहा है जिसे नाम दिया गया है–“मोबाइल रेडियो रूस”। अब रेडियो रूस के प्रसारण मोबाइल टेलिफ़ोन पर भी सुने जा सकते हैं।
दुनिया में हर उस जगह पर जहाँ टेलिफ़ोन सेवा उपलब्ध है रेडियो रूस के श्रोता 17 भाषाओं में रेडियो रूस के प्रसारण सुन सकते हैं। इसके लिए आपको अपने अपने टेलिफ़ोन पर एक विशेष प्रोग्राम लोड करना होगा जो रेडियो रूस के श्रोताओं को निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।इस समय “मोबाइल रेडियो रूस” के कार्यक्रम मोबाइल विन्डोज़ के आधार पर कार्यरत स्मार्ट फ़ोनों के लिए उपलब्ध हैं लेकिन जल्दी ही रेडियो रूस के प्रसारण 17 की जगह 39 भाषाओं में सभी तरह के सेलफ़ोनों पर सुने जा सकेंगे। आप अपने फ़ोन पर “मोबाइल रेडियो रूस” का प्रोग्राम सेट कर लीजिए फिर हम हमेशा आपके साथ होंगे।
आपको कम्प्यूटर पर रेडियो रूस की वेबसाईट खोलकर exe फ़ाईल पर जाकर यह विशेष प्रोग्राम लोड करना है।
इसके लिए सबसे पहले आप exe फ़ाईल को वेबसाईट से अपने कम्प्यूटर पर डाउनलोड कर लीजिए।
फिर ActiveSync प्रोग्राम की मदद से अपने सेलफ़ोन को कम्प्यूटर के साथ जोड़िए और exe फ़ाईल को अपने सेलफ़ोन पर लोड कर लीजिए।
इसके बाद इस फ़ाईल को खोलकर इसमें दी गई हिदायतों के अनुसार प्रोग्राम लोड कीजिए।
प्रोग्राम लोड करने के लिए cab फ़ाईल का इस्तेमाल करना होगा।

सबसे पहले cab फ़ाईल को अपने कम्प्यूटर पर डाउनलोड करिए और उसे कम्प्यूटर पर save यानी सुरक्षित कर लीजिए।
उसके बाद cab फ़ाईल को खोलकर उस में दी गईं हिदायतों का पालन कीजिए।
प्रोग्राम का उपयोग करने के लिए हिदायतें:
यह ज़रूरी है कि आपके स्मार्टफ़ोन को इन्टरनेट से जोड़ना सम्भव हो। इसके बाद प्रोग्राम स्टार्ट कीजिए और वह भाषा चुनिए जिसमें आपको प्रसारण सुनना है। मेनू में प्रसारणों की पूरी सूची दी गई है।
 (रेडियो रूस से साभार)

मोबाइल रेडियो रूस