पत्रकारों की समस्यायों के हल पर होगा ख़ास फैसला
लुधियाना: 13 जून 2016: (मीडिया स्क्रीन ब्यूरो):
तकनीकी विकास और सुविधायों में वृद्धि के बावजूद पत्रकारवर्ग के बहुत से सदस्य अभी तक उनमें आते हैं जिनका सबसे अधिक शोषण होता है। पत्रकार वर्ग में पूरी एकजुटता न होने के कारण इस शोषण का विरोध भी उतना नहीं हो पता जिससे इसे रोकने में कुछ सफलता मिले। बड़ी बड़ी पत्रकार यूनियनें भी छोटे और मंझले पत्रकारों को अक्सर नज़रअंदाज़ करती हैं। उनकी शर्तों में भी होता है कि पत्रकार के पास अख़बार या चैनल का पहचान पत्र हो-लेकिन यह बात बिलकुल उनके संघर्ष में नहीं होती कि काम के बावजूद पत्रकार को पहचान पत्र क्यों नहीं मिलता? बहुत से पत्रकारों को अभी तक साप्ताहिक अवकाश की सुविधा तक नहीं मिलती। पत्रकारों का बहुत सा वर्ग अभी तक ऐसा है जिसके काम के घंटे न फील्ड में निश्चित हैं न ही डेस्क पर। पत्रकारों को धमकाना, उन पर हमले करना, उनकी हत्या करना एक आम सी बात हो गयी है। आज यह सवाल फिर से मुख्य हो गया है कि जिसका नाम अख़बार में छपता है वो पत्रकार है या जिसके पास केवल पहचान पत्र है वो पत्रकार है?इस तरह की बहुत सी समस्यायों पर चर्चा करना फिर से आवशयक हो गया है।
पत्रकारों के हित में लम्बे समय से संघर्षशील संगठन प्रेस लायंज कल्ब (रजि.) ने इस संबंध में एक बार फिर पहल करते हुए एक बैठक बुलाई है जिसमें पत्रकार और उनके हिट की बात करने वाले कलमकार आमंत्रित हैं। इस कल्ब के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि सभी सदस्यों की एक आवष्यक बैठक बुधवार 15 जून को सुबह 10:30 बजे लुधियाना के पंजाबी भवन में आयोजित की जा रही है। इसमें सभी सदस्यों को पहुँचने का निवेदन किया गया है। इस विशेष मीटिंग में पत्रकारों की भलाई के लिए कोई संयुक्त और विशेष कार्यक्रम बनाने के लिए विचार विमर्श होगा। इस में सभी सदस्यों को पहचान पत्र भी दिएजाएंगे। जो सदस्य किसी कारणवश अपनी तस्वीर जमा नहीं करवा सके वे भी अपनी स्टेम्प साईज़ की तस्वीर उस दिन जमा करवा देंगें। कल्ब के अध्यक्ष प्रितपाल सिंह पाली की तरफ से यह बयान संगठन के प्रवक्ता सरबजीत सिंह लुधियानवी ने जारी किया।
लुधियाना: 13 जून 2016: (मीडिया स्क्रीन ब्यूरो):
तकनीकी विकास और सुविधायों में वृद्धि के बावजूद पत्रकारवर्ग के बहुत से सदस्य अभी तक उनमें आते हैं जिनका सबसे अधिक शोषण होता है। पत्रकार वर्ग में पूरी एकजुटता न होने के कारण इस शोषण का विरोध भी उतना नहीं हो पता जिससे इसे रोकने में कुछ सफलता मिले। बड़ी बड़ी पत्रकार यूनियनें भी छोटे और मंझले पत्रकारों को अक्सर नज़रअंदाज़ करती हैं। उनकी शर्तों में भी होता है कि पत्रकार के पास अख़बार या चैनल का पहचान पत्र हो-लेकिन यह बात बिलकुल उनके संघर्ष में नहीं होती कि काम के बावजूद पत्रकार को पहचान पत्र क्यों नहीं मिलता? बहुत से पत्रकारों को अभी तक साप्ताहिक अवकाश की सुविधा तक नहीं मिलती। पत्रकारों का बहुत सा वर्ग अभी तक ऐसा है जिसके काम के घंटे न फील्ड में निश्चित हैं न ही डेस्क पर। पत्रकारों को धमकाना, उन पर हमले करना, उनकी हत्या करना एक आम सी बात हो गयी है। आज यह सवाल फिर से मुख्य हो गया है कि जिसका नाम अख़बार में छपता है वो पत्रकार है या जिसके पास केवल पहचान पत्र है वो पत्रकार है?इस तरह की बहुत सी समस्यायों पर चर्चा करना फिर से आवशयक हो गया है।
पत्रकारों के हित में लम्बे समय से संघर्षशील संगठन प्रेस लायंज कल्ब (रजि.) ने इस संबंध में एक बार फिर पहल करते हुए एक बैठक बुलाई है जिसमें पत्रकार और उनके हिट की बात करने वाले कलमकार आमंत्रित हैं। इस कल्ब के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि सभी सदस्यों की एक आवष्यक बैठक बुधवार 15 जून को सुबह 10:30 बजे लुधियाना के पंजाबी भवन में आयोजित की जा रही है। इसमें सभी सदस्यों को पहुँचने का निवेदन किया गया है। इस विशेष मीटिंग में पत्रकारों की भलाई के लिए कोई संयुक्त और विशेष कार्यक्रम बनाने के लिए विचार विमर्श होगा। इस में सभी सदस्यों को पहचान पत्र भी दिएजाएंगे। जो सदस्य किसी कारणवश अपनी तस्वीर जमा नहीं करवा सके वे भी अपनी स्टेम्प साईज़ की तस्वीर उस दिन जमा करवा देंगें। कल्ब के अध्यक्ष प्रितपाल सिंह पाली की तरफ से यह बयान संगठन के प्रवक्ता सरबजीत सिंह लुधियानवी ने जारी किया।
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