Tuesday: 5th May 2020 at 12:07 PM
विकास और बुलंदी के दावों को झुठलाती मिड डे की स्टोरी हुयी वायरल
सोशल मीडिया: 5 मई 2020: (फेसबुक पर बोद्धिसत्व)::
Bodhi Sattva ने एक सच्ची कहानी पोस्ट की। इसे जानमाने अख़बार मिड डे, मुम्बई से साभार लिया गया था। तस्वीर भी और विवरण भी। ह पोस्ट सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय हुई क्यूंकि इसमें आज का सच था वह भी बिना किसी सियासत और बिना किसी अन्य आडम्बर के। इसी पोस्ट को उनके कुछ अन्य नए पुराने मित्रों ने भी शेयर किया। किसी ने कुछ शब्द घटा दिए और किसी ने कुछ शब्द जोड़ दिए। इस सब के बावजूद इसका सच लोगों के दिलों को झंकझौरता रहा। कोरोना के शोर में दब रहे अन्य समस्यायों के दर्द जिस तरह नज़रंदाज़ किया जा रहा है उस तरह इस दर्द को न छुपाया जा सका न ही दबाया जा सका। सोशल मीडिया पर मिली लोकप्रियता ने इसे नज़रंदाज़ होने से भी बचा लिया। इसे शेयर करने वाले मित्रों ने पूछा:
इस प्यार को क्या नाम और मान दिया जाए?
यही कह सकता हूं कि हर चाची को ऐसा भतीजा मिले। हर मां को ऐसा बेटा मिले!
ये विश्वनाथ शिंदे हैं। उम्र चालीस साल। मुम्बई में कंस्ट्रक्शन वर्कर हैं।
वही मज़दूर। घर जा रहा मज़दूर।
उनकी गोद में उनकी चाची वचेलाबाई हैं। चाची 70 साल की हैं और उनका अब विश्वनाथ के अलावा कोई नहीं। विश्वनाथ अपनी चाची को नवी मुंबई से अकोला ले जा रहे हैं।
भतीजा चाची के लिए पिता हो गया है। चाची बेटी हो गई है। यह मनुष्यता की सबसे बड़ी उपलब्धि है। साथ और स्नेह का बंधन!
इस प्यार और मार्मिक अपनापे भरी कठिन यात्रा पर किसी सरकार की नज़र क्यों न पड़ी?
मीडिया का बहुत बड़ा हिस्सा ऐसी हकीकतों को जानबूझ कर नज़र अंदाज़ कर रहा है। मिड डे ने इसे जगह दी इसलिए मिड डे, मुम्बई को सलाम।
*तस्वीर और जानकारी मिड-डे, मुम्बई से साभार
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