Saturday, February 23, 2013

साइबर क्षेत्र में लड़ाइयों के लिये तैयारी


23.02.2013, 16:25
चीन ने बना रक्खे हैं इस मकसद के लिए गुप्त दल ? 
हम तो  किसी एक आध व्यक्ति की साईट हैक हो जाने पर ही चिंतित  हो जाते थे पर  अब  मामला गंभीर हो चूका है। साईबर सुरक्षा का मुद्दा अब पूरी दुनिया की चिंता बन चूका है।साइबर क्षेत्र में लड़ाइयों के लिये तैयारी शीर्षक से रेडियो रूस ने इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी है। रेडियो रूस ने अपनी खबर में एक अमेरिकी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि चीन ने इस मकसद के लिए गुप्त दल भी बना रक्खे हैं।

साइबर सुरक्षा का विषय विश्व राष्ट्र समुदाय के लिये अधिकाधिक महत्त्वपूर्ण बनता जा रहा है। हाल में चीन और अमरीका ने एक दूसरे पर साइबर हमलों के जो आरोप लगाये वे इस बात का एक और प्रमाण हैं।

इस हफ्ते अमरीकी कंपनी मेंडियन्ट ने इंटरनेट पर चीन की गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट जारी की जिस में कहा गया है कि चीनी सरकार ने ऐसे गोपनीय हैकर दल बनाये जो इंटरनेट के ज़रिये औद्योगिक जासूसी करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकरों ने 141 कंपनियों पर साइबर हमले करके उनकी गोपनीय सूचनाओं की चोरी की। मेंडियन्ट का दावा है कि ये हमले शंघाई स्थित एक इमारत से जो कि चीन की जन मुक्ति सेना की संपत्ति है, किये गये । चीन में वास्तव में ऐसे शक्तिशाली विभाग मौजूद हैं जिन का उद्देश्य शत्रु के सूचना नेटवर्क को खराब करना और इंटरनेट के उपयोग से जासूसी करना है।

रूस के रणनीति एवं प्रैद्योगिकी विश्लेषण केंद्र के विशेषज्ञ वसीली काशिन ने बताया – चीन की मुख्य गुप्तचर संस्था - प्रधान मुख्यालय का तीसरा विभाग है जिस के काम के दायरे में रेडियो इंटरसेप्शन, अंतरिक्षीय गुप्तचर और इंटरनेट के ज़रिये जासूसी आती है। और चौथा विभाग आक्रमणकारी स्वरूप की साइबर कार्रवाइयाँ करता है। उसके काम का मुख्य क्षेत्र – रेडियो इलेक्ट्रोनिक संघर्ष है।

वसीली काशिन के कथनानुसार चीनी साइबर जासूसों की मुख्य उपलब्धि – अमरीकी लड़ाकू विमान एफ-35 से जुड़ी जानकारी की चोरी है। पिछले साल जब चीनी लड़ाकू विमान एफ-31 के परीक्षण शुरू हो गये थे तब इस बात का पता चला कि उसका ढांचा अमरीकी एफ-35 के ढांचे जैसा है।

आगे चलकर वसीली काशिन ने कहा – इस को ऐतिहासिक घटना कहा जा सकता है। साइबर जासूसी की संभावनाओं का उपयोग करते हुए ऐसे जटिल उपकरणों का निर्माण पहली बार किया गया। अभी यह बात मालूम नहीं है कि इस चीनी विमाण का औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन किया जायेगा या नहीं, लेकिन चीन द्वारा ऐसी बड़ी सफलता प्राप्त ही की गयी।

बेशक स्वयं चीन इस बात का खंडन करता है। चीन की जन मुक्ति सेना के प्रवक्ता गेन यानशेन ने याद दिलाया कि चीनी कानूनों के अनुसार साइबर सुरक्षा भंग करनेवाली गतिविधियाँ करना मना है। इस के साथ साथ उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यदि अपराधियों ने इंटरनेट पर चीनी सर्वरों का उपयोग किया तो यह इस बात का प्रमाण नहीं है कि वे स्वयं चीन में थे। अंत में चीनी प्रवक्ता ने कहा कि चीनी सर्वरों पर भी अक्सर साइबर हमले किये जाते हैं।
 © Photo: SXC.hu

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