कामरेड तारिक दा ने इस साजिश को बहुत पहले भांप लिया था
लुधियाना: 2 जून 2020: (कामरेड एम एस भाटिया का विशेष पोस्ट कामरेड स्क्रीन में भी ):: गांव गांव में बिजली का की तारें, गांव गांव में टेलीफोन का नेटवर्क, घर घर तक बैंक की सुविधा और हर गांव के हर घर तक स्वास्थ्य लाभ की सुविधाएँ। इस सब को हर गांव के हर घर तक पहुंचना आसान नहीं था। सरकारी कर्मचारियों ने बहुत ही मुश्किलें उठा कर इस काम को पूरा किया। इस सब के पूरा होते ही इस पर आंख लग गयी पूंजीपतियों की। वे सारे का सारा विकसित ढांचा अपनी मुट्ठी में करने के लिए अपना जाल बिछाने लगे। इसके साथ ही शुरू हो गया देश की नई गुलामी का सिलसिला। बहुत सी कंपनियां हमारी मालिक बन बैठी।
देश के पब्लिक सेक्टर को निजी हाथों में सौंपने की तैयारियां वास्तव में बहुत पहले से ही शुरू हो गईं थीं और कामरेड तारकेश्वर दा जैसे लोग इस सारी साजिश को बहुत पहले से ही भांप गए थे। खतरे ही खतरे थे। अँधेरा ही अंधेरा था। हालात नाज़ुक रुख अख्तियार कर रहे थे। कामरेड तारिक दा ने देख लिया था इस खतरनाक अँधेरे भविष्य का भयावह दृश्य कि नौकरियां भी खतरे में आ जाएंगी और पूरे का पूरा पब्लिक सेक्टर भी। उनकी दूरदर्शी निगाहों ने यह सब बहुत पहले देख लिया था। सत्ता पर बैठे लोग किस तरफ जा रहे हैं इसकी भनक उन्हें लग गयी थी। पूंजीवाद की हवा आंधी की तरह चलने लगी थी।
उस वक्त उन्होंने इस साजिश के खिलाफ ज़ोरदार आवाज़ बुलंद की। इस तरह का सारा विवरण और सभी घटनाएँ बता रहे हैं उन्हें बहुत ही नज़दीक से देखने वाले कामरेड एम एस भाटिया जो पत्रकार होने के साथ साथ सीपीआई की लुधियाना इकाई के वित्तीय सचिव भी हैं---पढिये कामरेड तारिक दा के सम्बन्ध में कामरेड भाटिया का विशेष पोस्ट कामरेड स्क्रीन में भी---
लुधियाना: 2 जून 2020: (कामरेड एम एस भाटिया का विशेष पोस्ट कामरेड स्क्रीन में भी ):: गांव गांव में बिजली का की तारें, गांव गांव में टेलीफोन का नेटवर्क, घर घर तक बैंक की सुविधा और हर गांव के हर घर तक स्वास्थ्य लाभ की सुविधाएँ। इस सब को हर गांव के हर घर तक पहुंचना आसान नहीं था। सरकारी कर्मचारियों ने बहुत ही मुश्किलें उठा कर इस काम को पूरा किया। इस सब के पूरा होते ही इस पर आंख लग गयी पूंजीपतियों की। वे सारे का सारा विकसित ढांचा अपनी मुट्ठी में करने के लिए अपना जाल बिछाने लगे। इसके साथ ही शुरू हो गया देश की नई गुलामी का सिलसिला। बहुत सी कंपनियां हमारी मालिक बन बैठी।
देश के पब्लिक सेक्टर को निजी हाथों में सौंपने की तैयारियां वास्तव में बहुत पहले से ही शुरू हो गईं थीं और कामरेड तारकेश्वर दा जैसे लोग इस सारी साजिश को बहुत पहले से ही भांप गए थे। खतरे ही खतरे थे। अँधेरा ही अंधेरा था। हालात नाज़ुक रुख अख्तियार कर रहे थे। कामरेड तारिक दा ने देख लिया था इस खतरनाक अँधेरे भविष्य का भयावह दृश्य कि नौकरियां भी खतरे में आ जाएंगी और पूरे का पूरा पब्लिक सेक्टर भी। उनकी दूरदर्शी निगाहों ने यह सब बहुत पहले देख लिया था। सत्ता पर बैठे लोग किस तरफ जा रहे हैं इसकी भनक उन्हें लग गयी थी। पूंजीवाद की हवा आंधी की तरह चलने लगी थी।
उस वक्त उन्होंने इस साजिश के खिलाफ ज़ोरदार आवाज़ बुलंद की। इस तरह का सारा विवरण और सभी घटनाएँ बता रहे हैं उन्हें बहुत ही नज़दीक से देखने वाले कामरेड एम एस भाटिया जो पत्रकार होने के साथ साथ सीपीआई की लुधियाना इकाई के वित्तीय सचिव भी हैं---पढिये कामरेड तारिक दा के सम्बन्ध में कामरेड भाटिया का विशेष पोस्ट कामरेड स्क्रीन में भी---
No comments:
Post a Comment