Tuesday, December 18, 2012

प्रेस स्वतंत्रता संबंधी रिपोर्ट

18-दिसंबर-2012 14:40 IST
चैनलों पर प्रसारित विषय-वस्तु के पूर्व-सैंसरशिप का प्रावधान नहीं 
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार को 'रिपोर्टर्ज विदाउट बोर्ड्ज' द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के परिणामों और इस संस्था द्वारा समेकित विश्व प्रैस स्वतंत्रता सूचकांक 2012 के संबंध में मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट की जानकारी मिली है। 

सरकार वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने की अपने नीति का अनुसरण करते हुए प्रिंट या इलेक्ट्रोनिक मीडिया में प्रकाशित विषय-वस्तु या ऑनलाइन विषय-वस्तु को सेंसर या विनियमित नहीं करती है। भारतीय प्रैस परिषद की स्थापना प्रैस की स्वतंत्रता को संरक्षण प्रदान करने और प्रैस में स्व-विनियमन के सिद्धांतों का संचार करने के भी दोहरे उद्देश्यों से प्रैस परिषद अधिनियम, 1978 के अंतर्गत एक सांविधिक स्वायत्तशासी निकाय के रूप में की गई है। जहां तक निजी सैटेलाइट टीवी चैनलों का संबंध है, केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम में इन चैनलों पर प्रसारित विषय-वस्तु के पूर्व-सैंसरशिप का प्रावधान नहीं है। तथापि, सभी चैनलों को उक्त अधिनियम के अधीन केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 द्वारा विनिर्धारित कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता का अनुपालन करना होता है। इसके अतिरिक्त, उद्योग ने भी विषय-वस्तु के विनियमन हेतु एक स्व-विनियमन तंत्र गठित किया है। अपने स्व-विनियमन पहल के हिस्से के रूप में उद्योग ने सामान्य मनोरंजन चैनलों और समाचार चैनलों की शिकायतों संबंधी विषय-वस्तु पर विचार करने के लिए प्रसारण विषय-वस्तु शिकायत परिषद (बीसीसीसी) और समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) का गठन किया है।

इसके अतिरिक्त, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के अंतर्गत अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (अंतर्वर्ती दिशानिर्देश) नियम, 2011 में प्रावधान है कि अंतर्वर्ती अपने कर्तव्यों का निर्दहन करने में सम्यक तत्परता बरतेंगे। ये नियम स्व-विनियमन प्रकृति के हैं और भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप है।

सरकार वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। (PIB)

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मीणा/राजगोपाल/शदीद-6175

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