Tuesday, December 18, 2012

डीटीएच परिचालकों की सेवाएं

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधीन भी निस्तारण 
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मंत्रालय को समय-समय पर निजी डायरेक्ट-टु-होम (डीटीएच) ऑपरेटरों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के संबंध में उपभोक्ताओं से शिकायतें प्राप्त होती रहती हैं जिन्हें समय पर समाधान किए जाने के लिए संबंधित डीटीएच ऑपरेटर को अग्रेषित कर दिया जाता है। डिजिटल केबल टीवी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 14.5.2012 को सेवा की गुणवत्ता के मानक (डिजिटल संबोधनीय केबल टीवी प्रणाली) विनियम, 2012 और उपभोक्ता शिकायत निवारण (डिजिटल संबोधनीय केबल टीवी प्रणाली) विनियम, 2012 जारी किया है। सेवा की गुणवत्ता संबंधी विनियमों में अन्य बातों के साथ-साथ, सेवा के कनेक्शन, डिस्कनेक्शन, शिफ्टिंग, अंतरण, शिकायतों के निस्तारण की समय-सीमा, बिलिंग प्रक्रिया, सेट-टॉप बॉक्स (एसटीबी) से संबंधी मुद्दों और सेवा प्रदाताओं आदि द्वारा अनुपालन किए जाने वाले तकनीकी मानकों के संबंध में मानदंड निर्धारित किए गए हैं। 

उपभोक्ता शिकायत निवारण विनियमों में एक शिकायत केन्द्र की स्थापना करने, टॉल फ्री नम्बर का प्रावधान करने और जिन मामलों में उपभोक्ता की शिकायत का शिकायतकर्ता की तुष्टि के अनुसार समाधान नहीं किया जाता, नोडल अधिकारियों के प्रावधान रखे गए हैं। किसी अनुचित व्यापार-आचरण को रोकने के लिए डीटीएच ऑपरेटर को डीटीएच लाइसेंस करार की निबंधन और शर्तों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सेवाएं प्रदान करने के संबंध में ट्राई के विनियमों/आदेशों का अनुपालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ट्राई अधिनियम, 1997 की धारा 14 के अनुसार उपभोक्ताओं का समूह डीटीएच सेवा प्रदाता के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीएसएटी) के समक्ष याचिका दायर कर सकता है। डीटीएच उपभोक्ता, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधीन भी निस्तारण की मांग कर सकता है जो जिला उपभोक्ता न्यायालयों के क्षेत्राधिकार के दायरे में आता है। (PIB)

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मीणा/राजगोपाल/शदीद-6185

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