24-दिसंबर-2012 15:34 IST
मणिपुर में एक प्राइवेट टी.वी. न्यूज चैनल के स्ट्रिंगर के निधन पर सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी द्वारा शोक व्यक्त
सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने मणिपुर में एक प्राइवेट टी.वी. न्यूज चैनल के स्ट्रिंगर श्री धीज मणि के निधन पर शोक व्यक्त किया है। श्री मणि की कल इम्फाल में पुलिस की गोलीबारी के दौरान मृत्यु हो गई थी। वे एक अभिनेत्री के साथ हुए दुर्व्यवहार के विरोध में आयोजित बंद को कवर कर रहे थे।
श्री तिवारी ने कहा कि श्री मणि एक बहादुर पत्रकार और एक सच्चे पेशेवर थे, जिन्होंने कई कठिन घटनाओं को कवर किया। (PIB)वि. कासोटिया/राजगोपाल/चन्द्रकला —6320
Monday, December 24, 2012
Tuesday, December 18, 2012
लोक सभा में एफटीआईआई का स्तरोन्नयन
राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने हेतु कदम उठाए
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने भारतीय फिल्म और टेलीविज़न संस्थान, पुणे (एफटीआईआई) को संसद के अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने हेतु कदम उठाए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, पुणे (एफटीआईआई) में पाठ्यक्रम शुल्क अत्यधिक सहायिकी-प्राप्त है। इसके अतिरिक्त, संस्थान विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी प्रदान करता है। फिल्म, टेलीविज़न और उससे जुड़े विषयों में अनुसंधान को बढ़ावा देना संसद के प्रस्तावित अधिनियम में संस्थान के उद्देश्यों में से एक रूप में प्रकल्पित है। (PIB) 18-दिसंबर-2012 14:32 IST
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मीणा/शोभा/रामकिशन-6181
Courtesy Photo |
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मीणा/शोभा/रामकिशन-6181
टीवी चैनलों का कार्यकरण
410 समाचार तथा 438 गैर-समाचार चैनलों को अनुमति
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने आज की तिथि के अनुसार 410 समाचार एवं समसामयिकी तथा 438 गैर-समाचार और समसामयिकी चैनलों को अनुमति प्रदान की है। विगत तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान स्वीकृत किए गए अनुरोधों की श्रेणी-वार संख्या निम्नानुसार है:-
वर्ष
|
अनुमति दी गई
| |
समाचार
|
गैर-समाचार
| |
2009
|
34
|
46
|
2010
|
40
|
58
|
2011
|
117
|
107
|
2012
|
9
|
27
|
165 प्रस्ताव अंतर-मंत्रालयीय स्वीकृति की विभिन्न अवस्थाओं में हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय द्वारा जारी अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देशों के अनुसार अपलिंकिंग/डाउनलिंकिंग अनुमति प्रदान किए जाने के लिए प्राप्त आवेदन आवश्यक स्वीकृति के लिए गृह मंत्रालय, अंतरिक्ष विभाग, राजस्व विभाग और विदेश मंत्रालय को संदर्भित कर दिए जाते हैं। अत: लंबित प्रस्ताव की स्वीकृति के संबंध में कोई समय-सीमा नहीं बताई जा सकती है। (PIB) 18-दिसंबर-2012 14:31 IST***
मीणा/शोभा/रामकिशन-6170
डीटीएच परिचालकों की सेवाएं
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधीन भी निस्तारण
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मंत्रालय को समय-समय पर निजी डायरेक्ट-टु-होम (डीटीएच) ऑपरेटरों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के संबंध में उपभोक्ताओं से शिकायतें प्राप्त होती रहती हैं जिन्हें समय पर समाधान किए जाने के लिए संबंधित डीटीएच ऑपरेटर को अग्रेषित कर दिया जाता है। डिजिटल केबल टीवी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 14.5.2012 को सेवा की गुणवत्ता के मानक (डिजिटल संबोधनीय केबल टीवी प्रणाली) विनियम, 2012 और उपभोक्ता शिकायत निवारण (डिजिटल संबोधनीय केबल टीवी प्रणाली) विनियम, 2012 जारी किया है। सेवा की गुणवत्ता संबंधी विनियमों में अन्य बातों के साथ-साथ, सेवा के कनेक्शन, डिस्कनेक्शन, शिफ्टिंग, अंतरण, शिकायतों के निस्तारण की समय-सीमा, बिलिंग प्रक्रिया, सेट-टॉप बॉक्स (एसटीबी) से संबंधी मुद्दों और सेवा प्रदाताओं आदि द्वारा अनुपालन किए जाने वाले तकनीकी मानकों के संबंध में मानदंड निर्धारित किए गए हैं।
उपभोक्ता शिकायत निवारण विनियमों में एक शिकायत केन्द्र की स्थापना करने, टॉल फ्री नम्बर का प्रावधान करने और जिन मामलों में उपभोक्ता की शिकायत का शिकायतकर्ता की तुष्टि के अनुसार समाधान नहीं किया जाता, नोडल अधिकारियों के प्रावधान रखे गए हैं। किसी अनुचित व्यापार-आचरण को रोकने के लिए डीटीएच ऑपरेटर को डीटीएच लाइसेंस करार की निबंधन और शर्तों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सेवाएं प्रदान करने के संबंध में ट्राई के विनियमों/आदेशों का अनुपालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ट्राई अधिनियम, 1997 की धारा 14 के अनुसार उपभोक्ताओं का समूह डीटीएच सेवा प्रदाता के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीएसएटी) के समक्ष याचिका दायर कर सकता है। डीटीएच उपभोक्ता, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधीन भी निस्तारण की मांग कर सकता है जो जिला उपभोक्ता न्यायालयों के क्षेत्राधिकार के दायरे में आता है। (PIB)
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मीणा/राजगोपाल/शदीद-6185
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मंत्रालय को समय-समय पर निजी डायरेक्ट-टु-होम (डीटीएच) ऑपरेटरों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के संबंध में उपभोक्ताओं से शिकायतें प्राप्त होती रहती हैं जिन्हें समय पर समाधान किए जाने के लिए संबंधित डीटीएच ऑपरेटर को अग्रेषित कर दिया जाता है। डिजिटल केबल टीवी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 14.5.2012 को सेवा की गुणवत्ता के मानक (डिजिटल संबोधनीय केबल टीवी प्रणाली) विनियम, 2012 और उपभोक्ता शिकायत निवारण (डिजिटल संबोधनीय केबल टीवी प्रणाली) विनियम, 2012 जारी किया है। सेवा की गुणवत्ता संबंधी विनियमों में अन्य बातों के साथ-साथ, सेवा के कनेक्शन, डिस्कनेक्शन, शिफ्टिंग, अंतरण, शिकायतों के निस्तारण की समय-सीमा, बिलिंग प्रक्रिया, सेट-टॉप बॉक्स (एसटीबी) से संबंधी मुद्दों और सेवा प्रदाताओं आदि द्वारा अनुपालन किए जाने वाले तकनीकी मानकों के संबंध में मानदंड निर्धारित किए गए हैं।
उपभोक्ता शिकायत निवारण विनियमों में एक शिकायत केन्द्र की स्थापना करने, टॉल फ्री नम्बर का प्रावधान करने और जिन मामलों में उपभोक्ता की शिकायत का शिकायतकर्ता की तुष्टि के अनुसार समाधान नहीं किया जाता, नोडल अधिकारियों के प्रावधान रखे गए हैं। किसी अनुचित व्यापार-आचरण को रोकने के लिए डीटीएच ऑपरेटर को डीटीएच लाइसेंस करार की निबंधन और शर्तों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सेवाएं प्रदान करने के संबंध में ट्राई के विनियमों/आदेशों का अनुपालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ट्राई अधिनियम, 1997 की धारा 14 के अनुसार उपभोक्ताओं का समूह डीटीएच सेवा प्रदाता के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीएसएटी) के समक्ष याचिका दायर कर सकता है। डीटीएच उपभोक्ता, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधीन भी निस्तारण की मांग कर सकता है जो जिला उपभोक्ता न्यायालयों के क्षेत्राधिकार के दायरे में आता है। (PIB)
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मीणा/राजगोपाल/शदीद-6185
केबल नियमों में संशोधन
18-दिसंबर-2012 14:39 IST
नियम 10क के अंतर्गत सूचना प्रदान करने की बाध्यता
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना संख्या का.आ. 1521 (अ) दिनांक 06 जुलाई, 2012 द्वारा नियम अर्थात केबल टेलीविज़न नेटवर्क नियम, 1994 (द्वितीय संशोधन) नियम, 2012 बनाए हैं जो केबल टेलीविज़न नेटवर्क नियम, 1994 का संशोधन करते हैं, जिसमें एक नया नियम 10क अंत:स्थापित किया गया है जो प्रत्येक केबल ऑपरेटर और बहु-प्रणाली ऑपरेटर (एमएसओ) को समय से एवं यथातथ्य सूचना उपलब्ध कराने के लिए बाध्य करता है। उक्त नियम निम्नलिखित रूप में है:-''10क. सूचना प्रदान करने की बाध्यता''1. प्रत्येक बहुप्रणाली ऑपरेटर और केबल ऑपरेटर यथास्थिति केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार द्वारा प्राधिकृत किसी प्राधिकरण या प्राधिकृत अधिकारी द्वारा मांगी गई सूचना ऐसी सरकार या अभिकरण या अधिकारी को यथाविहित अवधि और रूप में प्रदान करने के लिए बाध्य होगा।2. उपनियम (1) के अधीन मांगी गई सूचना प्रदान करने वाला बहु-प्रणाली ऑपरेटर या केबल ऑपरेटर का प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता भी इस तरह प्रदान की गई सूचना की तथ्यता और विशुद्धता की अभिपुष्टि करेगा। संशोधित नियम 10क के अंतर्गत सूचना प्रदान करने की बाध्यता को केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 5क के अधीन केबल ऑपरेटर और नियम 11घ के अंतर्गत बहु-प्रणाली ऑपरेटर के पंजीकरण की निबंधन एवं शर्तों में से एक के रूप में अंतर्विष्ट किया गया है। नए संशोधित नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन को दंडित करने की शक्ति केन्द्र सरकार के पास है और इस संबंध में कोई प्रतिवेदन नहीं किया गया है। (PIB)
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मीणा/शोभा/रामकिशन-6168
नियम 10क के अंतर्गत सूचना प्रदान करने की बाध्यता
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना संख्या का.आ. 1521 (अ) दिनांक 06 जुलाई, 2012 द्वारा नियम अर्थात केबल टेलीविज़न नेटवर्क नियम, 1994 (द्वितीय संशोधन) नियम, 2012 बनाए हैं जो केबल टेलीविज़न नेटवर्क नियम, 1994 का संशोधन करते हैं, जिसमें एक नया नियम 10क अंत:स्थापित किया गया है जो प्रत्येक केबल ऑपरेटर और बहु-प्रणाली ऑपरेटर (एमएसओ) को समय से एवं यथातथ्य सूचना उपलब्ध कराने के लिए बाध्य करता है। उक्त नियम निम्नलिखित रूप में है:-''10क. सूचना प्रदान करने की बाध्यता''1. प्रत्येक बहुप्रणाली ऑपरेटर और केबल ऑपरेटर यथास्थिति केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार द्वारा प्राधिकृत किसी प्राधिकरण या प्राधिकृत अधिकारी द्वारा मांगी गई सूचना ऐसी सरकार या अभिकरण या अधिकारी को यथाविहित अवधि और रूप में प्रदान करने के लिए बाध्य होगा।2. उपनियम (1) के अधीन मांगी गई सूचना प्रदान करने वाला बहु-प्रणाली ऑपरेटर या केबल ऑपरेटर का प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता भी इस तरह प्रदान की गई सूचना की तथ्यता और विशुद्धता की अभिपुष्टि करेगा। संशोधित नियम 10क के अंतर्गत सूचना प्रदान करने की बाध्यता को केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 5क के अधीन केबल ऑपरेटर और नियम 11घ के अंतर्गत बहु-प्रणाली ऑपरेटर के पंजीकरण की निबंधन एवं शर्तों में से एक के रूप में अंतर्विष्ट किया गया है। नए संशोधित नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन को दंडित करने की शक्ति केन्द्र सरकार के पास है और इस संबंध में कोई प्रतिवेदन नहीं किया गया है। (PIB)
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मीणा/शोभा/रामकिशन-6168
टी.वी. चैनलों की कमाई
दूरदर्शन का अधिदेश एवं प्रयोजन निजी प्रसारकों से भिन्न
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि प्रसार भारती ने सूचित किया है कि दूरदर्शन के पास दूसरे चैनलों की राजस्व सृजन ब्यौरे जानने के लिए कोई तंत्र नहीं है। इसलिए दूरदर्शन एवं अन्य निजी चैनलों की कमाई के बीच तुलना का प्रश्न नहीं उठता। इसके अतिरिक्त दूरदर्शन एक लोक सेवा प्रसारक है और उसका अधिदेश एवं प्रयोजन निजी प्रसारकों से भिन्न है। निजी प्रसारकों से भिन्न, यह मूलत: राजस्व उत्पादन की नीयत से कार्य नहीं करता बल्कि यह प्रसार भारती अधिनियम में दिए गए अपने अधिदेश को पूरा करने के लिए कार्य करता है। तथापि, दूरदर्शन द्वारा विछले तीन वर्षों के लिए अर्जित की गई आय निम्नानुसार है:-
(करोड़ रूपए में)
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि प्रसार भारती ने सूचित किया है कि दूरदर्शन के पास दूसरे चैनलों की राजस्व सृजन ब्यौरे जानने के लिए कोई तंत्र नहीं है। इसलिए दूरदर्शन एवं अन्य निजी चैनलों की कमाई के बीच तुलना का प्रश्न नहीं उठता। इसके अतिरिक्त दूरदर्शन एक लोक सेवा प्रसारक है और उसका अधिदेश एवं प्रयोजन निजी प्रसारकों से भिन्न है। निजी प्रसारकों से भिन्न, यह मूलत: राजस्व उत्पादन की नीयत से कार्य नहीं करता बल्कि यह प्रसार भारती अधिनियम में दिए गए अपने अधिदेश को पूरा करने के लिए कार्य करता है। तथापि, दूरदर्शन द्वारा विछले तीन वर्षों के लिए अर्जित की गई आय निम्नानुसार है:-
(करोड़ रूपए में)
वर्ष
|
दूरदर्शन द्वारा अर्जित की गई आय
|
2009-10
|
828.48
|
2010-11#
|
944.44
|
2011-12#
|
990.76
|
2012-13$
|
578.75
|
*** (PIB)
मीणा/राजगोपाल/शदीद-6174
लोकसभा में प्रश्न//उत्तर
दूरदर्शन पर आपत्तिजनक सामग्री
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि प्रसार भारती ने सूचित किया है कि दूरदर्शन कार्यक्रमों के निर्माण और प्रसारण के लिए अपनी प्रसारण एवं विज्ञापन संहिता का कड़ाई से अनुपालन करता है। अत: दूरदर्शन पर अभद्रता या आपत्तिजनक विषय-वस्तु वाले कार्यक्रमों का प्रसारण नहीं होता है। इस मंत्रालय ने महिला और बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) अथवा गृह मंत्रालय को दूरदर्शन और अन्य चैनलों पर प्रसारित विषय-वस्तु के लिए विद्यमान कानून में संशोधन करने अथवा नई संहिता बनाने के लिए कोई अनुरोध नहीं भेजा है। गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि वर्तमान में उनके पास दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों और विज्ञापनों में अभद्रता/आपत्तिजनक विषय-वस्तु को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन हेतु कोई प्रस्ताव नहीं है। तथापि, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने सूचित किया है कि वह दृश्य श्रव्य मीडिया और इलैक्ट्रोनिक फॉर्म की सामग्री को दायरे में लाने के लिए तथा स्त्रियों के अशिष्ट निरूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986 में शास्ति संबंधी प्रावधानों को मजबूत बनाने के लिए कानून के दायरे का विस्तार करने के साथ ही कतिपय संशोधन पर विचार कर रहा है जिसे संसद में संशोधन विधेयक के रूप में पुर:स्थापित करने हेतु सरकार द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है। (PIB) 18-दिसंबर-2012 15:55 IST***
मीणा/राजगोपाल/शदीद-6186
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि प्रसार भारती ने सूचित किया है कि दूरदर्शन कार्यक्रमों के निर्माण और प्रसारण के लिए अपनी प्रसारण एवं विज्ञापन संहिता का कड़ाई से अनुपालन करता है। अत: दूरदर्शन पर अभद्रता या आपत्तिजनक विषय-वस्तु वाले कार्यक्रमों का प्रसारण नहीं होता है। इस मंत्रालय ने महिला और बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) अथवा गृह मंत्रालय को दूरदर्शन और अन्य चैनलों पर प्रसारित विषय-वस्तु के लिए विद्यमान कानून में संशोधन करने अथवा नई संहिता बनाने के लिए कोई अनुरोध नहीं भेजा है। गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि वर्तमान में उनके पास दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों और विज्ञापनों में अभद्रता/आपत्तिजनक विषय-वस्तु को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन हेतु कोई प्रस्ताव नहीं है। तथापि, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने सूचित किया है कि वह दृश्य श्रव्य मीडिया और इलैक्ट्रोनिक फॉर्म की सामग्री को दायरे में लाने के लिए तथा स्त्रियों के अशिष्ट निरूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986 में शास्ति संबंधी प्रावधानों को मजबूत बनाने के लिए कानून के दायरे का विस्तार करने के साथ ही कतिपय संशोधन पर विचार कर रहा है जिसे संसद में संशोधन विधेयक के रूप में पुर:स्थापित करने हेतु सरकार द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है। (PIB) 18-दिसंबर-2012 15:55 IST***
मीणा/राजगोपाल/शदीद-6186
टेलीविजन प्रसारणकर्ताओं हेतु आचार-संहिता
पूरे देश में राज्य स्तर और जिला स्तर की मॉनीटरिंग समितियां गठित
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रमों एवं विज्ञापनों, जिनका प्रसारण/पुन: प्रसारण केबल टीवी नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है, को केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और उसके अधीन बनाए गए नियमों के अंतर्गत विनिर्धारित पहले से विद्यमान कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं का अनुपालन करना होता है।
मंत्रालय ने कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं के उल्लंघन की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालयीय समिति गठित की है। इस अंतर-मंत्रालयीय समिति में गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, विधि मंत्रालय, महिला व बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, उपभोक्ता मामले मंत्रालय और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के प्रतिनिधि होते हैं। अंतर-मंत्रालयीय समिति की बैठकों में उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है। सरकार ने भी 24 घंटे निजी सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित होने वाली विषय-वस्तु की मॉनीटरिंग के लिए इलेक्ट्रोनिक मीडिया मॉनीटरिंग केन्द्र (ईएमएमसी) की भी स्थापना की है।
श्री तिवारी ने कहा कि केबल नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रावधान क्षेत्रीय भाषा चैनलों सहित सभी निजी सैटेलाइट/केबल टीवी चैनलों पर लागू होते हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार ने पूरे देश में राज्य स्तर और जिला स्तर की मॉनीटरिंग समितियां गठित की हैं जो निजी सैटेलाइट/केबल टेलीविजन चैनलों में प्रसारित विषय-वस्तु की मॉनीटरिंग करती है। अभी तक केन्द्रशासित प्रदेशों सहित 21 राज्य स्तरीय मॉनीटरिंग समितियां और 274 जिसा स्तरीय मॉनीटरिंग समितियां देश भर में गठित की जा चुकी हैं। (PIB) 18-दिसंबर-2012 14:36 IST***
मीणा/राजगोपाल/शदीद-6173
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रमों एवं विज्ञापनों, जिनका प्रसारण/पुन: प्रसारण केबल टीवी नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है, को केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और उसके अधीन बनाए गए नियमों के अंतर्गत विनिर्धारित पहले से विद्यमान कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं का अनुपालन करना होता है।
मंत्रालय ने कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं के उल्लंघन की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालयीय समिति गठित की है। इस अंतर-मंत्रालयीय समिति में गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, विधि मंत्रालय, महिला व बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, उपभोक्ता मामले मंत्रालय और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के प्रतिनिधि होते हैं। अंतर-मंत्रालयीय समिति की बैठकों में उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है। सरकार ने भी 24 घंटे निजी सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित होने वाली विषय-वस्तु की मॉनीटरिंग के लिए इलेक्ट्रोनिक मीडिया मॉनीटरिंग केन्द्र (ईएमएमसी) की भी स्थापना की है।
श्री तिवारी ने कहा कि केबल नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रावधान क्षेत्रीय भाषा चैनलों सहित सभी निजी सैटेलाइट/केबल टीवी चैनलों पर लागू होते हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार ने पूरे देश में राज्य स्तर और जिला स्तर की मॉनीटरिंग समितियां गठित की हैं जो निजी सैटेलाइट/केबल टेलीविजन चैनलों में प्रसारित विषय-वस्तु की मॉनीटरिंग करती है। अभी तक केन्द्रशासित प्रदेशों सहित 21 राज्य स्तरीय मॉनीटरिंग समितियां और 274 जिसा स्तरीय मॉनीटरिंग समितियां देश भर में गठित की जा चुकी हैं। (PIB) 18-दिसंबर-2012 14:36 IST***
मीणा/राजगोपाल/शदीद-6173
प्रिंट मीडिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)
भारतीय संस्थाओं में 26 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि प्रिंट मीडिया क्षेत्र में, गैर-समाचारों अर्थात प्रिंट मीडिया के विशेषज्ञता/तकनीकी/वैज्ञानिक क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक के विदेशी निवेश की अनुमति है, जबकि समाचार और समसामयिकी से संबंधित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का प्रकाशन करने वाली भारतीय संस्थाओं में 26 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है। तथापि, पूर्ण स्वामित्व वाली सह-संस्था के माध्यम से अपने समाचार पत्रों के फैसीमाइल संस्करण प्रकाशित करने वाले विदेशी प्रकाशन घरानों के मामले में 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने प्रिंट मीडिया में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के मुद्दे पर कोई सिफारिश नहीं की है। वर्तमान में, प्रिंट मीडिया में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अधिकतम सीमा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार ने गैर-समाचार क्षेत्र अर्थात वैज्ञानिक/तकनीकी/विशेषज्ञता पत्रिकाएं/आवधिकियां/जर्नल प्रकाशित करने के लिए पहले ही 100 प्रतिशत तक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी है। (PIB) 18-दिसंबर-2012 14:33 IST
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मीणा/शोभा/रामकिशन-6182
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि प्रिंट मीडिया क्षेत्र में, गैर-समाचारों अर्थात प्रिंट मीडिया के विशेषज्ञता/तकनीकी/वैज्ञानिक क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक के विदेशी निवेश की अनुमति है, जबकि समाचार और समसामयिकी से संबंधित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का प्रकाशन करने वाली भारतीय संस्थाओं में 26 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है। तथापि, पूर्ण स्वामित्व वाली सह-संस्था के माध्यम से अपने समाचार पत्रों के फैसीमाइल संस्करण प्रकाशित करने वाले विदेशी प्रकाशन घरानों के मामले में 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने प्रिंट मीडिया में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के मुद्दे पर कोई सिफारिश नहीं की है। वर्तमान में, प्रिंट मीडिया में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अधिकतम सीमा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार ने गैर-समाचार क्षेत्र अर्थात वैज्ञानिक/तकनीकी/विशेषज्ञता पत्रिकाएं/आवधिकियां/जर्नल प्रकाशित करने के लिए पहले ही 100 प्रतिशत तक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी है। (PIB) 18-दिसंबर-2012 14:33 IST
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मीणा/शोभा/रामकिशन-6182
प्रेस स्वतंत्रता संबंधी रिपोर्ट
18-दिसंबर-2012 14:40 IST
चैनलों पर प्रसारित विषय-वस्तु के पूर्व-सैंसरशिप का प्रावधान नहीं
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार को 'रिपोर्टर्ज विदाउट बोर्ड्ज' द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के परिणामों और इस संस्था द्वारा समेकित विश्व प्रैस स्वतंत्रता सूचकांक 2012 के संबंध में मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट की जानकारी मिली है।
सरकार वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने की अपने नीति का अनुसरण करते हुए प्रिंट या इलेक्ट्रोनिक मीडिया में प्रकाशित विषय-वस्तु या ऑनलाइन विषय-वस्तु को सेंसर या विनियमित नहीं करती है। भारतीय प्रैस परिषद की स्थापना प्रैस की स्वतंत्रता को संरक्षण प्रदान करने और प्रैस में स्व-विनियमन के सिद्धांतों का संचार करने के भी दोहरे उद्देश्यों से प्रैस परिषद अधिनियम, 1978 के अंतर्गत एक सांविधिक स्वायत्तशासी निकाय के रूप में की गई है। जहां तक निजी सैटेलाइट टीवी चैनलों का संबंध है, केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम में इन चैनलों पर प्रसारित विषय-वस्तु के पूर्व-सैंसरशिप का प्रावधान नहीं है। तथापि, सभी चैनलों को उक्त अधिनियम के अधीन केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 द्वारा विनिर्धारित कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता का अनुपालन करना होता है। इसके अतिरिक्त, उद्योग ने भी विषय-वस्तु के विनियमन हेतु एक स्व-विनियमन तंत्र गठित किया है। अपने स्व-विनियमन पहल के हिस्से के रूप में उद्योग ने सामान्य मनोरंजन चैनलों और समाचार चैनलों की शिकायतों संबंधी विषय-वस्तु पर विचार करने के लिए प्रसारण विषय-वस्तु शिकायत परिषद (बीसीसीसी) और समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) का गठन किया है।
इसके अतिरिक्त, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के अंतर्गत अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (अंतर्वर्ती दिशानिर्देश) नियम, 2011 में प्रावधान है कि अंतर्वर्ती अपने कर्तव्यों का निर्दहन करने में सम्यक तत्परता बरतेंगे। ये नियम स्व-विनियमन प्रकृति के हैं और भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप है।
सरकार वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। (PIB)
***
मीणा/राजगोपाल/शदीद-6175
चैनलों पर प्रसारित विषय-वस्तु के पूर्व-सैंसरशिप का प्रावधान नहीं
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार को 'रिपोर्टर्ज विदाउट बोर्ड्ज' द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के परिणामों और इस संस्था द्वारा समेकित विश्व प्रैस स्वतंत्रता सूचकांक 2012 के संबंध में मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट की जानकारी मिली है।
सरकार वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने की अपने नीति का अनुसरण करते हुए प्रिंट या इलेक्ट्रोनिक मीडिया में प्रकाशित विषय-वस्तु या ऑनलाइन विषय-वस्तु को सेंसर या विनियमित नहीं करती है। भारतीय प्रैस परिषद की स्थापना प्रैस की स्वतंत्रता को संरक्षण प्रदान करने और प्रैस में स्व-विनियमन के सिद्धांतों का संचार करने के भी दोहरे उद्देश्यों से प्रैस परिषद अधिनियम, 1978 के अंतर्गत एक सांविधिक स्वायत्तशासी निकाय के रूप में की गई है। जहां तक निजी सैटेलाइट टीवी चैनलों का संबंध है, केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम में इन चैनलों पर प्रसारित विषय-वस्तु के पूर्व-सैंसरशिप का प्रावधान नहीं है। तथापि, सभी चैनलों को उक्त अधिनियम के अधीन केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 द्वारा विनिर्धारित कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता का अनुपालन करना होता है। इसके अतिरिक्त, उद्योग ने भी विषय-वस्तु के विनियमन हेतु एक स्व-विनियमन तंत्र गठित किया है। अपने स्व-विनियमन पहल के हिस्से के रूप में उद्योग ने सामान्य मनोरंजन चैनलों और समाचार चैनलों की शिकायतों संबंधी विषय-वस्तु पर विचार करने के लिए प्रसारण विषय-वस्तु शिकायत परिषद (बीसीसीसी) और समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) का गठन किया है।
इसके अतिरिक्त, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के अंतर्गत अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (अंतर्वर्ती दिशानिर्देश) नियम, 2011 में प्रावधान है कि अंतर्वर्ती अपने कर्तव्यों का निर्दहन करने में सम्यक तत्परता बरतेंगे। ये नियम स्व-विनियमन प्रकृति के हैं और भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप है।
सरकार वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। (PIB)
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